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  • जिले में डेढ़ सौ परमिटधारक साहूकारों बन रहे किसानों के मददगार

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वर्धा. गत कुछ वर्षों से जिले का किसान प्राकृतिक आपदा के संकट का सामना कर रहा है़ अगली बार स्थिति में सुधार आने की उम्मीद से किसान फिर खेती के काम में जुट जाता है़ परंतु उनके हाथ निराशा ही लग रही है़ इस बार पुन: खरीफ की तैयारियों में किसान जुट गया है़  बैंकों में आसानी से कर्ज उपलब्ध न होने से किसान फिर साहूकार का दरवाजा खटखटा रहा है़ इस बात का लाभ कुछ अवैध साहूकार उठा रहे है़ इस ओर प्रशासन से गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत आन पड़ी है़ बता दें कि, बार-बार की प्राकृतिक आपदा के कारण किसान पूर्णत: टूट चुका है.

पर्याप्त बारिश होने तक बुआई नहीं होगी 

बावजूद इसके किसानों ने खरीफ मौसम के लिए कमर कस ली है़ इस बार जिले में 4 लाख 37 हजार हेक्टेयर खेत्र में बुआई का नियोजन आंका गया है़ इसमें 2 लाख 42 हजार 481 हेक्टेयर में कपास तथा 1 लाख 42 हजार 481 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बुआई का नियोजन किया गया है़ इसके अलावा ज्वार, तिल, सूर्यफूल व अन्य फसलों की भी बुआई अल्प मात्रा में की जाएगी़ इस बार मानसून समय पर आने की संभावना मौसम विभाग ने जताई है़ फलस्वरुप किसान ने खेती की मशक्कत का कार्य शुरु कर दिया है़ परंतु किसान पर्याप्त बारिश नहीं होती तब तक बुआई न करने का आह्वान कृषि विभाग ने किया है. 

जल्दबाजी में बुआई करने से बचाने पर जोर

किसान जल्दबाजी में बुआई करता है़  पश्चात बारिश न होने से उन पर दोबारा बुआई का संकट पैदा होता है़ इसे टालने के लिए इस बार सरकार ने फिलहाल बीज व खाद की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है़ जिले में 100 मिमी तक बारिश होने के बाद किसान बुआई का कार्य आरंभ करने का अपील कृषि विभाग ने की है. परिणामवश किसान फसल कर्ज के लिए बैंकों के चक्कर काट रहा है़ परंतु उन्हें आसानी से कर्ज उपलब्ध नहीं हो रहा है. इसलिए किसान साहूकारों के द्वार पर पहुंचते नजर आ रहे है़.

अवैध साहूकारों का बढ़ता जा रहा बोलबाला

संबंधित विभाग के अनुसार जिले में डेढ़ सौ के करिब परमिटधारक साहूकार है़ इसके अलावा जिले में अवैध साहूकारों का बोलबाला दिखाई दे रहा है़ जो किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर उनसे अधिक ब्याज वसूलते है़ ऐसे साहूकारों से किसानों को बचने का आह्वान किया जा रहा है़ परंतु बैंकों में निराशा हाथ लगने पर किसान मजबूरी में साहूकार के पास पहुंचता है़ जहां अपनी जमीन, आभूषण गिरवी रखकर कर्ज उठाता है.