वर्धा. आर्वी के कदम अस्पताल मामले में स्वास्थ्य विभाग की शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच आरंभ की है. शिकायत मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी होने के कारण पुलिस स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों का सहयोग लेने वाली है. इस संदर्भ में पुलिस अधिकारियों ने चिकित्सक व स्वास्थ्य सेवा से जुड़े व्यक्तियों के साथ विचार विमर्श शुरू किया है. 13 वर्षीय बालिका के गर्भपात प्रकरण के कारण आर्वी का कदम अस्पताल सुर्खियों में आया है.
पुलिस विभाग के साथ अन्य विभागों ने एक के बाद एक कार्रवाई करने के कारण कदम दंपत्ति की मुश्किलें बढ़ गई है. डा. नीरज कदम उप जिला अस्पताल में चिकित्सक होने के कारण उन्होंने अपने निजी अस्पताल में सरकारी दवा का इस्तेमाल किया था. सरकार के नियमानुसार इन दवा का उपयोग केवल सरकारी अस्पताल में होता है. किंतु डा. कदम उपजिला अस्पताल से यह दवा अपने अस्पताल में लाकर उसका उपयोग करते थे. यह बात पुलिस जांच में सामने आयी थी. परंतु स्वास्थ्य विभाग आंखे मूंदकर बैठा था. अंतत: वैद्यकीय अधीक्षक मोहन सुटे ने आर्वी थाने में शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस डा. नीरज कदम व उनकी पत्नी डा. रेखा कदम का जांच के लिए पांच दिन का पीसीआर लिया है.
सरकारी दवा से जुड़े खुलेंगे कनेक्शन
उपजिला अस्पताल से डा. कदम बीते अनेक माह से दवा लेकर जाते थे. सरकारी दवा का लेखाजोखा रखने की जिम्मेदारी उपजिला अस्पताल की है, लेकिन यह लेखाजोखा नहीं रखा जाता था. औषधि विभाग के कुछ कर्मियों के साथ डा. कदम की सांठगांठ होने की बात कही जा रही है. उस दिशा में पुलिस ने जांच आरंभ की है. पुलिस जांच में दवा का कनेक्शन उजागर होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है.
पुलिस की टीम ने खंगाले कागजात
स्वास्थ्य विभाग की शिकायतों के बाद पुलिस ने प्रकरण के कागजात खंगालने शुरू कर दिये है. दवा का स्टाक व सरकारी अस्पताल की दवा की जानकारी पुलिस ने ली. साथ ही उपजिला अस्पताल के दवा स्टाक के संदर्भ के रिकार्ड की मांग करने की जानकारी है. उपविभागीय पुलिस अधिकारी सुनील सालुंके वरिष्ठों की सूचना व वरिष्ठ वैद्यकीय अधिकारियों के संपर्क में है.