Nylon Manja
Representational Pic

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    वर्धा. शहर में प्रतिबंधित नायलॉन मांजा के विक्रेता चोरी छिपे ब्लैक में बेच रहे हैं. नागरिकों ने मांग की है कि नायलॉन मांजा से पतंग उड़ानेवालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. इसके लिए प्रशासन ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी करना चाहिए, जिसमें शिकायत करनेवालों के नाम गोपनीय रखे जाने की गारंटी भी दी जानी चाहिए. नायलॉन मांजा से पतंग उड़ानेवालों के खिलाफ नागरिकों को शिकायत करने के लिए जनजागृति भी की जानी चाहिए. 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन बड़े पैमाने पर पतंगबाजी होती है.

    नायलॉन मांजा दुर्घटनाओं का कारण भी बनता है. बाजारों में विभिन्न आकार प्रकार की पतंगें उपलब्ध है. मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया जाता है. पतंग उड़ाने की इस पंरपरा का पालन बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिक तक सभी करते हैं. पतंग उड़ाते समय, पेंच लड़ाते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि उससे कोई पक्षी घायल न हो, उसकी मौत न हो. मकर संक्रांति के दिन उड़ने वाली पतंगों के मांजा – धागे से हर वर्ष बहुत से पक्षियों की मौत हो जाती है. अपनी खुशी में पक्षियों की जान न जाए, परंपरा का अनुपालन के लिए अगर पक्षियों की जान जा रही हो तो ऐसी परंपरा पर विराम लगाना बहुत जरूरी है.

    पक्षियों की सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी

    प्रकृति में जिस तरह से मानव की जरूरत होती है, वैसी ही जरूरत पशु-पक्षी की भी होती है. कुछ पक्षी मित्रों का कहना है कि परंपरा का पालन करने वाले पक्षियों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें, इसलिए उनकी सुरक्षा भी होनी चाहिए. मानव के मनोरंजन या परंपरा के अनुपालन में अगर पक्षियों की जान जा रही हो तो ऐसी परंपरा को यो समाप्त कर दिया या फिर परंपरा को पूरा करते समय इस बात की ओर गंभीरता से ध्यान देना बहुत जरूरी है कि इससे किसी पक्षी की मौत न हो. 

    इकोफ्रेंडली धागे को उपयोग में लाएं

    पतंग उड़ाने वाले अगर इकोफ्रेंडली धागे को उपयोग में लाए तो पतंग उड़ाते समय पक्षी की मौत की संख्या में कमी आएगी. राज्य सरकार को मंझे की बिक्री पर रोक लगयी है, फिर भी पेंच लड़ाने वाले मंझे का खुलेआम उपयोग करते हैं, यह मांजा बहुत ही खतरनाक होता है, उससे पक्षियों के गर्दन की कटने के आसार बने रहते हैं, इसलिए मांजा के उपयोग पर रोक लगायी गई है. लेकिन अपना शौक पूरा करने के लिए पतंग उड़ानेवाले मांजा का बेरोकटोक प्रयोग करते हैं, जिसमें अटक कर हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन बहुत से पक्षियों की मौत हो जाती है.