योजना कामगारों ने की हड़ताल, आंदोलन से मांगों की ओर खींचा ध्यान

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    वर्धा. देश के 11 मजदूर संगठनों के आह्वान पर योजना कामगारों ने विविध मांगों को लेकर शुक्रवार को एक दिवसीय हड़ताल की़  आयटक व सीटू कामगार संगठन ने जिला परिषद के समक्ष धरना आंदोलन किया. आयटक के राज्य उपाध्यक्ष दिलीप उटाणे, सीटू के भैय्या देशकर के नेतृत्व में आंदोलन किया गया.  

    आंगनवाड़ीसेविका, सहायक, आशा, गुटप्रवर्तक, शालेय पोषण आहार कर्मचारी, अंशकालीन स्त्री परिचर, उमेद वर्धिनी ठेका स्वास्थ्यसेविका आदि योजना कामगारों को कर्मचारी का दर्जा देने, उन्हें प्रतिमाह 10 हजार की पेंशन प्रदान करने, देश को आत्मनिर्भर बनाने वाली रेलवे, बीमा, बैंक, डिफेन्स कोल पेट्रोलियम, स्वास्थ्य व शिक्षा आदि सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण तत्काल वापस लेने, श्रमिकों को संरक्षण देने की बजाए उन पर लगाए निर्बंध वापस लेने, उनके खिलाफ सख्त कानून बनाये गए, उन्हें शिथिल करने, तीन कृषि कानून तथा 4 लेबर कोड वापस लेने, आम स्वास्थ्य का बजट बढ़ाने, सभी का नि:शुल्क टीकाकरण करने, पूंजीपतियों के लाभ की नीति बंद करने, सभी फ्रन्टलाइन वर्करों को बीमा कवच देने, उद्योग तथा सरकारी दफ्तरों का निजीकरण रोकने, एसेशियल डिफेन्स सर्विसेस एक्ट यह कामगार विरोधी व लोकशाही विरोधी कानून वापस लेने, महंगाई पर नियंत्रण रखते हुए पेट्रोल, डीजल, गैस व जीवनावश्यक वस्तुओं की कीमतें कम करने सहित अन्य महत्वपूर्ण मांगों को लेकर हड़ताल व आंदोलन किया गया.  

    संयुक्त कृति समिति का आंदोलन को समर्थन 

    विविध कामगार संगठन संयुक्त कृति समिति के अध्यक्ष गुणवंत डकरे ने आंदोलन को समर्थन दिया़  मांगों का ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया़  आंदोलन में आयटक जिला अध्यक्ष मनोहर पचारे, सचिव वंदना कोलणकर, कार्याध्यक्ष मैना उईके, विजया पावडे, ज्ञानेश्वरी डंबारे, मंगला इंगोले,  शबाना शेख, अलका भानसे, सुजाता भगत, सुनंदा आखाडे, विनायक नन्नोरे, ज्योत्स्ना राऊत, प्रतिभा वाघमारे, वंदना खोब्रागडे, वीणा पाटिल, रेखा तेलतुंबडे, अश्विनी महाकालकर सहित सैकड़ों की संख्या में महिला कामगारों ने हिस्सा लिया था.