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  • अनदेखी से बढ़ा रोष

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वर्धा. आर्थिक वर्ष में लोकनिर्माण विभाग के अंतर्गत वर्धा विभाग में विभिन्न विकास कार्यों का क्रियान्वयन किया गया. वहीं दूसरी ओर अनेक विकास कार्य चल रहे है़ं  इसके लिये वरिष्ठ स्तर से करिब 94 करोड़ 50 लाख रुपए निधि की जरूरत लोकनिर्माण विभाग को थी़  ताकि इस निधि से वे ठेकेदारों के बिल अदा कर सके़ परंतु विभाग को केवल 3 करोड़ 40 लाख रुपए का ही निधि प्राप्त हुआ है़  परिणामवश दिवाली के मुहाने पर लोकनिर्माण विभाग व संबंधित ठेकेदारों में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से किये गये विकास कार्यों की राशि समय रहते अदा न किए जाने के कारण छोटे बड़े सभी ठेकेदार त्रस्त हो चुके है़ं इसके लिये सरकार का ध्यान खींचने कई बार आंदोलन भी किए गए. परंतु पुरानी निधि अब तक प्राप्त नहीं हुई है.

पर्याप्त निधि मांगने के बावजूद भी नहीं मिली 

दूसरी ओर वरिष्ठ स्तर पर प्रस्ताव भेजने के बाद भी पर्याप्त निधि उपलब्ध न हो पाने के कारण बांधकाम विभाग की भी दिक्कतें बढ़ती जा रही है़  बीते कुछ समय में वर्धा विभाग के अंतर्गत विभिन्न एजेन्सी के माध्यम से लोकनिर्माण विभाग ने विकास कामों को अंजाम दिया़  इसमें ग्रामीण क्षेत्र में सड़क, पुल सहित अन्य विकास कामों का समावेश है़ इनमें से कुछ कार्य पूर्ण हो चुके है, तो कुछ कार्य प्रगतिपथ पर बताये गये़ इन कामों को लेकर समय समय पर एजेन्सी को निधि देना पड़ता है़ कुछ ठेकेदारों ने अपनी जेब से खर्च करके विकास कार्यों को पूरा किया है.

बिल के भुगतान को लेकर उत्पन्न हुई समस्या 

परंतु आज लोकनिर्माण विभाग के पास पर्याप्त निधि उपलब्ध न होने के कारण संबंधित ठेकेदारों के बिल कैसे अदा करे, यह समस्या पैदा हो रही है़  परिणामवश ठेकेदारो में असंतोष देखने मिल रहा है़ लोकनिर्माण विभाग ने विकास कार्य की स्थिति को ध्यान में रखकर वरिष्ठ स्तर पर जरूरी निधि की मांग की़  वहीं विभाग को मांग की तुलना में केवल 3 प्रतिशत ही राशि ही उपलब्ध हो पाई है़ इस स्थिति में लोकनिर्माण विभाग की मुश्किलें बढ़ गई है़ वर्तमान में करिब 94.50 करोड़ के बिल चुकाने हैं, जबकि निधि 3.40 करोड़ ही उपलब्ध है़  ऐसे में किस ठेकेदार की एजेन्सी को कितना निधि देना, यह समस्या पैदा हो रही है. 

ठेकेदारों में विभाग के प्रति असंतोष का माहौल

बार बार मांग करने पर भी ठेकेदारों के बिल अदा नहीं किए जा रहे है़ं इसके लिये ठेकेदार लोकनिर्माण विभाग के चक्कर लगा रहे है़ं  परिणामवश ठेकेदारों में असंतोष का वातावरण बना हुआ है़ दूसरी ओर पर्याप्त निधि उपलब्ध न होने से ठेकेदारो के रोष का सामना लोकनिर्माण विभाग को करना पड़ रहा है.