
वर्धा. फिर एक बार आसमानी आफत किसानों के पीछे पड़ गई है. सितंबर के पहले पखवाड़े में हुई बारिश से फसलों बड़ा नुकसान हुआ था. इस नुकसान से किसान उबरने की कोशिश कर रहे थे कि अब रविवार की शाम से पुनः आसमान में बादलों का जमावाड़ा होने के साथ ही बारिश ने दस्तक दे दी है. परिणामवश किसानों की चिंताएं बढ़ गई है. निरंतर बारिश चलती रही तो हाथ में आयी हुई सोयाबीन व कपास की फसल का भारी नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है. इस वर्ष मौसम का मिजाज कुछ अलग ही रहा है. जून के शुरूआती दिनों में अच्छी बारिश होने के बाद वह फिर नदारद हो गई, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई थी. अगस्त में बारिश की बेरुखी के चलते फसल संकट में आ गई थी़ बांधों का जलस्तर नहीं बढ़ने से ग्रीष्मकाल में जलसंकट के आसार गहरा गए थे़ किंतु, अगस्त के अंतिम दिनों में बारिश ने जोरदार वापसी की, जिससे किसानों सहित सभी की आशाएं पल्लवित हुई थी.
लगातार वर्षा से किसानों का टेंशन बढ़ा
वहीं सितंबर में बारिश का प्रकोप निरंतर कायम रहा़ बीते पखवाड़े हुई निरंतर बारिश के कारण फसलों का काफी नुकसान हुआ़ लगभग 5 दिन का समय बीत गया़ बारिश खुलने से किसानों ने राहत महसूस की थी. वहीं सोमवार सुबह से ही फिर आसमान में बादलों का जमावड़ा हो गया है़ मौसम विभाग ने भी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे किसानों में चिंता का माहौल छा गया है.
सोयाबीन की फसल पर फिर लगा ग्रहण
सोयाबीन की फसल परिपूर्ण होने के लिए 90 से 105 दिनों का समय लगता है़ जिले में 80 प्रतिशत फसल का यह पीरियड समाप्त होने की कगार पर है़ सोयाबीन फल्लियों में दाना पकने के कारण फसल पीली पड़ने लगी है़ आने वाले एक पखवाड़े के बाद फसल कटाई पर आ सकती है़ परंतु बारिश के कारण पके हुए दानों में अंकुर निकलने लगे है़ बीते वर्ष बारिश के कारण सोयाबीन फसल का पूर्णत: नुकसान हो गया था़ अगर अब बारिश आयी तो पिछले वर्ष जैसी परिस्थिति निर्माण होगी.
तुअर पर मर रोग का प्रकोप
पिछले वर्ष सोयाबीन का नुकसान हुआ था़ साथ ही बीज में भी परेशानियां आयी थी़ परिणामवश जिले में तुअर का क्षेत्र बढ़ गया है़ किंतु, तुअर की फसल पर बारिश का प्रभाव हो रहा है़ तुअर की फसल पानी में रहने के कारण पौधों को अन्नद्रव्य नहीं मिलने से तुअर पर मर रोग का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है़ अगर बारिश हुई तो तुअर पर संकट निर्माण होगा.
सड़ने लगे कपास के बोंड
कपास को 70 दिन का समयावधि लगता है़ 45 दिनों बाद कलियां आती है़ जिले में इस वर्ष प्री मानसून के साथ मृग नक्षत्र में 12 जून के पूर्व सैकड़ों हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है़ कपास के पौधों ने फल धारण किया है़ परंतु बारिश के कारण बोंड काले होकर सड़ने लगे है़ं बारिश के कारण तेजी से फसल बर्बाद होने की आशंका है.
फिलहाल फसल की स्थिति अच्छी
पिछले कुछ दिनों में बारिश खुलने के कारण जिले की फसल अब अच्छी है़ किंतु बारिश हुई तो सोयाबीन से पिछले वर्ष की तरह हाथ धोना पड़ेगा़ अब बारिश नहीं आनी चाहिए़ किसानों को फसल नियोजन के लिए मार्गदर्शन किया जा रहा है.
-अनिल इंगले, जिला कृषि अधीक्षक-वर्धा.