पांढरी गांव के रास्ते पर दिखा बाघ, गांववासीयों में छाया डर का माहौल

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    यवतमाल. यवतमाल शहर से थोडी दूरी पर स्थित घाटंजी मार्ग के पांढरी और कोलंबी गांव के परिसर में इन दिनों पटटेदार बाघ का मुक्त संचार हो चुका है.2 सितंबर की दोपहर पांढरी गांव से थोडी दुरी पर स्थित कोलंबी रास्ते पर बाघ ने रास्ता पार किया, इस दौरान आवाजाही करनेवाले वाहनचालकों और गांववासीयों को यह बाघ रास्ते पर दिखने से वहां पर हडकम्प मच गया. इसकी सुचना स्थानिय नागरिकों ने वनविभाग को देकर बाघ के संचार पर नियंत्रण रखने की मांग की गयी.

    कल शाम के दौरान पांढरी गांववासी जब अपने कामों में जुटे हुए थे, तभी यह पटटेदार बाघ यवतमाल-अकोला बाजार मार्ग पर कोलंबी के जंगल से निकलकर रास्ता पार करता दिखाई दिया,हालांकी इसके बाद इस परिसर में बाघ दिखाई नही दिया, लेकिन पांढरी और कोलंबी गांव के ईलाके में इस बाघ के मुक्त संचार से डर व्याप्त हो चुका है. बता दें कि, इसी परिसर में हिवरी के जंगलों में बाघ के हमलें में अब तक अनेक मवेशीयों की जान जा चुकी है.

    बता दें कि, पांढरी गांव से थोडी दुरी पर ही कोलंबी गांव के निकट घना जंगल है,यह मार्ग टिपेश्वर अभ्यारण्य के लिए भी गुजरता है, कोलंबी का जंगल भी टिपेश्वर अभ्यारण्य के जंगलों से जुडा है, कोलंबी घाट और जंगलों के मार्ग पर विभीन्न वन्यजीव रास्ता पार करते है,जिससे वनविभाग द्वारा वाहनचालकों को सावधानी से वाहन चलाने के लिए बोर्ड लगा रखे है, इसके अलावा रास्ते पर विभीन्न वन्यजीवों की जानकारी देने उनके तस्वीरों के बोर्ड लगाए गए है,कोलंबी जंगल के रास्ते पर घाट है, जहां पर सुबह और शाम जंगलों से निकलकर हिरण, निलगाय,लोमडी,जंगली कुत्ते, जंगली सुअर रास्ता पार करते है, इसे ध्यान में लेकर वनविभाग ने यहां पर उपाय किए हुए है.

    एैसे में अब इस परिसर में बाघ का मुक्त संचार दिखाई देने से यह बाघ टिपेश्वर अभ्यारण्य से होकर इस परिसर में आने का अनुमान वनविभाग द्वारा जताया जा रहा था. पांढरी,कोलंबी के जंगल के रास्ते पर बाघ दिखने के बाद चरवाहे घने जंगल में मवेशी चरवाने,लकडीयां लाने न जाएं, जरुरी काम के अलावा बेवजह जंगल में प्रवेश न करें,जंगल से गुजरते समय आवाज करते रहे, एैसी आह्वान वनाधिकारी सी.डी.नेहारे ने किया है.