सेटेलाइट के माध्यम से मापी गई एयर प्रदूषण

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    • बढ़ते वाहन और धूल की वजह से बढ़ा एअर प्रदूषण, नागरिकों के स्वास्थ्य खतरा
    • जिले के सात तहसीलों में बढा वायु प्रदूषण 

    यवतमाल. इस अधूनिकारण के दौर में हर शहर, गांव कस्बा विकसित होने लगा है. नागरिको अच्छी यातायात सूविधा मिल रही है. लेकिन इसी शहर गांव देहात के विकास का असर अब एअर प्रदूषण पर पड रहा है. शुक्रवार को जिले में साटेलाईट के माध्यम से एअर नाम किया गया. जिसमें वाहनों व धुल की वजह से जिले के सात तहसीलों में वायू प्रदषूण बढने कारण जिला वासियों के लिए चिंता का विषय है. स्थानीय प्रशासन व  सरकार को इस एअर प्रदूषण पर जल्द ही उपाय योजना कर नागरिकों के स्वास्थ्य को बचना  होगा. 

    आज मेट्रो सिटी समेत गांव कस्बे में विकास हो रहा है. इस विकास के आड में मानव अपने फायदे के लिए प्राकृतिक को  नुकसान पहुचा रहा है. अनेक वर्षे के पेड काटे जा रहा है. जगह जगह पर सिमेंट क्रॉकिट की सडक बनाए जा रही है. साथ ही अपने सुविधा के लिए एक व्यक्ती अनेक वाहनों को खरेदी कर रहा है.

    ऐसे में आज भी मे्ट्रो सिटी का व्यक्ती गांव देहात में जाकर सुद्ध हवा लेने की बात करता है. साथ ही नागरिक भी सुद्ध हवा लेने के लिए सुबह के समय पर मॉर्निग वॉक करने के लिए निकलते है. लेकिन वाहन, धुल के कण की वजह से नागरिको मिललीवाली ताजी ओर सुद्ध हवा भी प्रदूषित हो रही है.

    अमेरिका की सॉटेलाईट ने टीआरआयओपीएमआय के माध्यम से शुक्रवार को एअर प्रदूषण एक्यूआय चेक किया जिसमें यवतामल शहर में 151, घांटजी तहसील में 154, दिग्रस तहसील में 153, पुसद तहसील में 153, उमरखेड तहसील में 153 व वणी तहसील में 153 , व राजूरा(वणी) तहसील में 153 एक्यूआय  को दिखाया गया है. जो की नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना गया है. 

    प्रदूषण का एक्यूआ के जांच के लिए जिले में नही है यंत्रणा 

    सरकार प्रदूषण को लेकर हजार करोडों रूपये को खर्च कर प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए जनजागृति अभियान चलाती है. लेकिन सरकार जनजागृति के साथ साथ जिला स्तर, तहसील स्तर समेत गांव कस्बा में प्रदूषण का स्तर जांच करने के लिए कोई यंत्रणा नही लगाते है.

    जिसके चलते बिना प्रदूषण स्तर से ही प्रदूषण जनजागृति पर करोडों रूपये खर्च करने की वजह से सरकार की मंशा पर शंक होने लगा है. यवतमाल जिले में एअर एक्यूआय की जांच करने के लिए कोई यंत्रणा नही है. अपने नदजीक का जिला चंद्रपूर में इस एअर एक्यूआय का जांच केंद्र निर्माण किया गया है. 

    टीआरआयओपीएमआय कैसे करता है काम 

    यह एक अमेरिका की सॉटेलाईट यंत्रणा है. यह सॅटेलाईट जिस शहरों में प्रदूषण का स्तर जांच के लिए कोई यंत्रणा नही होती है वह उन शहर का प्रदूषण स्तर जांच करती है. थंड के मौसम में एक लाईट के माध्यम से एअर में कौसा प्रदूषण है जैसे वाहनों का धूआ, सडक निर्माण के लिए खोदे गए गडे से निकलनेवाली धूल, ओर कचरा समेत अन्य के माध्यम से प्रदूषण का स्तर जांच करते है. 

    प्रशासन ने जनजागृति कार्यक्रम चलाने चाहिए 

    दिन ब दिए बढती जनंसंख्या ओर जिसके वजह से बढा हूआ वाहनों का प्रदूषण.  इस  बढे प्रदुषण की वजह से इन्सान को विविध स्वास्थ्य विषय समस्या निर्माण हो रही है.  वायू प्रदूषण यह बडा गंभीर विषय बन है.   जिसके चलते प्रशासन ने ग्रामीण इलकों मे प्रदूषण मापक यंत्रणा कार्यान्वित कर जनजागृती पर जोर देना आवश्यक है.  

    – प्राध्यापक, सुरेश चोपणे.