यवतमाल. यवतमाल जिले में जुलाई और अगस्त माह में भारी बारिश और अतिवृष्टी और बाढ ने खरीफ फसलों को प्रचंड नुकसान पहूंचाया है.जिले में बिते डेढ माह में लगभग 3 लाख हेक्टेयर खरीफ फसल जिसमें कपास, सोयाबीन, दलहन और सब्जी की फसलों का समावेश है अतिवृष्टी की भेँट चढ चुकी है, तो दुसरी ओर अब रही सही खरीफ की फसल पर बदरीले मौसम की मार पड रही है.
बिते 15 अगस्त के बाद बारिश का क्रम कुछ होने से इन दिनों भारी बारिश से खेतों में उग आयी खरपतवार निकालने का काम किसान कर रहे है, अतिवृष्टी के कारण सोयाबीन, कपास और तुअर की पौधों के तहत में पानी जमा होने से जडें सडने से फसल की बढत पर इसका विपरित असर हुआ है, तो दुसरी ओर बारिश रुकने पर बदरीला मौसम होने से जिले की खरीफ फसल पर इन दिनों रोगों का प्रकोप बढता दिख रहा है.
बिते तीन दिनों से सभी तहसीलों में बदरीला मौसम है, जिससे अब विभीन्न बिमारीयों ने फसलों पर प्रकोप करना शुरु किया है, इसमें कपास के पौधों पर गुलाबी ईल्लीयों और तुअर की फसल पर मर रोग का प्रकोप होने की जानकारी कुछ किसानों ने दी.इसके अलावा फसलों पर किटकों का प्रकोप बढता जा रहा है.कपास की फसल के दौरान बदरीला मौसम गुलाबी ईल्लीयों के लिए पोषक होने से इसका प्रकोप बढ रहा है, इसके अलावा तुडतुडे, सफेद मक्खी,खोंड मक्खी जैसे किटक भी फसल पर दिख रहे है.
इसके अलावा अतिवृष्टी और अधिक बारिश होने से कपास, सोयाबीन, तुअर के पौधों के पत्ते पिले पड चुके है, एैसे में किसानों को अब रही सही फसल पर आर्थिँक जुगत कर विभीन्न तरह की किटनाशक, और पोषक दवाईयों का छिडकाव करना पड रहा है.यवतमाल जिले के केलापुर, यवतमाल, बाभुलगांव, उमरखेड, पुसद,मारेगांव, रालेगांव समेत अधिकांश तहसीलों में खरीफ की फसल पर बदरीले मौसम के किटकों और विभीन्न बिमारीयों का साया मंडराने से कृषी विभाग द्वारा किसानों को तात्काल उपाययोजनाएं सुझाकर खरीफ का संभावीत उत्पादन बचाने की अपेक्षा जतायी जा रही है.