सोयाबीन में मायश्चर के नाम पर किसानों की लूट

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    यवतमाल. जिले में अतिवृष्टी और बाढ, मुसलाधार बारिश ने जुन से अगस्त माह के बीच खरीफ की फसल तबाह कर दी, इस दौरान लगभग सवा 4 लाख फसल बर्बाद हो गयी, तो दुसरी ओर वापसी की बारिश ने भी बची खुची फसल को नुकसान पहूंचाया, एैसे में जिले में इस सोयाबीन और कपास उत्पादक किसान संकट में है.

    अब जैसे तैसे फसल कटाई के बाद बाजारों में आ रही सोयाबीन में मायश्चर अधिक होने और दर्जा खराब होने के नाम पर व्यापारीक स्तर पर किसानों को कम दाम देकर लुटने का सिलसिला शुरु हो चुका है. बता दें की इस बार जिले में सोयाबीन और कपास के उत्पादन में गिरावट आयी है,तो दुसरी ओर सोयाबीन के दरों में भी बडी गिरावट होने से किसानों को उचित दाम नही मिल रहे है.

    फिलहाल जिले में 4 हजार 300 से 4 हजार 500 रुपए प्रति क्वींटल दरों से सोयाबीन खरीदी की जा रही है,लेकिन जब किसान बाजार समितीयों और निजी व्यापारीयों कों यह सोयाबीन बेंच रहे है, उस दौरान इसमें नमी अधिक होने के नाम पर मायश्चर आंकते हुए इसके दरों में और कमी कर खरीदी की जा रही है.

    वापसी की बारिश के बाद फसल कटाई जारी है, अधिकांश पैमाने पर सोयाबीन की कटाई हो चुकी है,जिससे अब किसान बाजार में सोयाबीन बेंचने ला रहे है, लेकिन शुरुआती चरण में इसके दरों में गिरावट आयी है, बिते वर्ष की तुलना में इस वर्ष किसानों को आधे दामों में सोयाबीन खरीदी जा रही है. सोयाबीन में नमी के नाम पर किसानों को लुटा जा रहा है,जिले में अनेक स्थानों पर माचश्यचर अधिक होने के नाम पर किसानों से केवल 3500 रुपए प्रतिक्वींटल से खरीदी की जा रही है.

    सोयाबीन उत्पादकों के लिए सरकारी स्तर पर गैरंटी के 4300 रुपए प्रतिक्वींटल दाम तय किए गए है, इस सत्र में केंद्र सरकार ने इसमें 100 रुपए प्रतिक्वींटल का ईजाफा किया है, लेकिन इससे कम दामों में खरीदी होने से उत्पादक किसान संकट में दिख रहे है.इस वर्ष सोयाबीन के उत्पादन में काफी कमी आयी है,तो दुसरी ओर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन को अच्छे दाम होने के बावजुद जिले में इसे कम दाम क्यों दिए जा रहे है, एैसा सवाल किसान कर रहे है.