
- ओबीसी कर्मियों की पदोन्नती पर राठौड़ ने कहा
यवतमवाल. पूर्व विधायक हरीभाऊ राठौड़ ने पत्र परिषद में कहा कि राज्य में विगत चार वर्षों से बिना मतलब के पिछड़ा प्रवर्ग के अधिकारी-कर्मचारी के प्रमोशन का आरक्षण सरकार ने रोक लिया है. राज्य में विजय घोगरे ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. उच्च न्यायालय में दाखिल मामले में 26 सितंबर 2018 को पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ ने इस पर पुर्नविचार करने की आवश्यकता नहीं तथा पदोन्नति में आरक्षण के लिए पिछड़ा प्रवर्ग की आंकड़ेवारी संकलित करने की आवश्यकता नहीं.
अप्राप्त प्रतिनिधित्व की खोज की भी आवश्यकता नहीं होने का फैसला दिया है. इस मामले में पूर्व विधायक राठौड़ ने आपत्ति याचिका दाखिल की है. पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में अधिकारी-कर्मचारियों का नुकसान हुआ है. पदोन्नति के आरक्षण मामले में महाधिवक्ता ने सभी को गुमराह किया है, जिसमें भाजपा का ही हाथ होने का आरोप भी लगाया.
सेवा वरियता से पद भर्ती पर जोर
16 दिसंबर 2020 को पिछड़ा प्रवर्ग के अधिकारी-कर्मचारी के आरक्षण के मसले पर मंत्री गुटों की बैठक हुई. बैठक में ऐसी रिपोर्ट आयी है कि उच्च न्यायालय के 4 अगस्त 2017 के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की है. पदोन्नति के कोटे से रिक्त सौ फीसदी पद किसी प्रकार के आरक्षण का विचार न करते हुए वर्तमान सेवा वरियता के अनुसार पद भर्ती होनी चाहिए.
सेवा वरियता के अनुसार कर्मचारी को ही इसके लिए योग्य समझा जाए, लेकिन यह मंत्री गुट की रिपोर्ट जैसे की वैसे मंजूर की. बिंदू नामावली का इस्तेमाल न करते हुए 33 फीसदी आरक्षित पद खुले प्रवर्ग से भरे तो आरक्षण को नकारा जाता है यह साबित होगा. सरकार को पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए.