7 से शुरू होगा नवरात्रि महोत्सव,जानामाय कासामाय देवी करती है मन्नते पूरी

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    मारेगांव. दुर्गा मां नवरात्रि उत्सव 7 से शुरू हो रहा है. तहसिल में नवरात्रि की परंपरा अनेक वर्षों से शुरू है तहसिल में प्राचीन जानामाय कासामाय यह देवियां अपने भक्तों की मन्नते पूरी करती है. कई श्रद्धालुओं की आस्था देवी की पूजा आराधना से जुड़ी है. इसमंदिर से पर राज्यों के श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है. 

    मारेगांव तहसिल के वनोजादेवी ग्राम में प्राचीन जानामाय कासामाय देवी का मंदिर है इस मंदिर में नवरात्रि में महाराष्ट्र तेलंगाना आंध्रप्रदेश राज्यों से भक्त पहुंचते है. इस मंदिर में ठंडे गर्म पानी के दो जलकुंड है. इंनजलकुण्ड की एक खास विषेषता है. जानामाय कासामाय चिरेबंदी पत्थर से निर्मित एक हेमाडपंथी मंदिर है. इस मंदिर के देवी को नवस की देवी के नाम से जाना जाता है.

    इसके बगल में छेनी वाले पत्थर से बने दो ठंडे गर्म पानी के जलकुंड है एक मिथक है कि इस कुंड के पानी मे स्नान करने से शारीरिक बीमारियां दूर हो जाती है. नवरात्रि के दौरान विभिन्न कार्यक्रम धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है. अपनी मन्नत पूरी करने भक्त सालभर आते है यह देवी का मंदिर मारेगांव से 15 की स्थित वनोजा देवी में है.

    कुछ श्रद्धालुओं ने ऐसी भी मन्नत मांगी थी के मारेगांव से देवी के मंदिर तक श्रद्धालु पैदल चल कर जाकर देवी के दर्शन लेकर वापस लौट आते जो यह नजारा कईयों को आजभी याद है. चुनावी अवधि के दौरान नेता अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले देवी का दर्शन लेते है. 

    गायमुख से बहता है ठंड व गर्म पानी का झरना

    अधिकांश धार्मिक स्थलों को एक ही नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को दो बहनों के नाम से जाना जाता है. मंदिर की कथा के अनुसार जानामाय और कासामाय नाम की दो बहने है, एक दिन दोनों बहने अपने पिता का खाना लेकर खेत में गई थी. पिता के साथ लौटते समय दोनों बहनें एक ही खेत में अचानक गायब हो गई. धरती के पेट से दो मूर्तियां निकली. मूर्ति के गायमुख से ठंड-गर्म झरने बह निकली. जैसे ही यह कहानी हर जगह जानी गई, इस जगह पर गर्म और ठंडे पानी के लिए जलकुंड बनाए गए.