यवतमाल. एक ओर अतिवृष्टि तथा बाढ़ के चलते खरीफ की फसल का काफी नुकसान हुआ हैं. इसके बावजूद प्रशासन की ओर से जिले की संशोधित पैसेवारी 53 फीसदी निश्चित की है. जिसके चलते जिले के किसान गीले अकाल के लाभ से वंचित रहेंगे.
जिले में ओलावृष्टि तथा बाढ़ से बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान हुआ. इसके बावजूद राजस्व विभाग की ओर से इससे पूर्व प्राथमिक पैसेवारी 61 फीसदी घोषित की गई थी,अब संशोधित पैसेवारी 53 फीसदी घोषित करने से किसानों को भारी झटका लगा है. अब अगर अंतिम पैसेवारी भी 50 फीसदी से अधिक घोषित किए जाने पर सरकार की ओर से अकाल पीड़ितों को दिए जाने वाले लाभ से किसान वंचित रहेंगे.
फसल की पैसेवारी 50 से अधिक होने पर फसल की स्थिति अच्छी मानी जाती है. इस पर ही सरकारी नीति तय होती है, इसलिए किसानों की दृष्टि से पैसेवारी को काफी अहम माना जाता है. 50 फीसदी से कम पैसेवारी होने पर फसल की स्थिति खराब मानी जाती है और अकाल घोषित कर सरकार की ओर से मदद की जाती है.
इस वर्ष शुरूआत में फसल की स्थिति ठीक थी किंतु बाद में अगस्त और सितंबर माह में अतिवृष्टि के चलते फसलों का भारी नुकसान हुआ. कपास-सोयाबीन समेत सभी फसलों को भारी क्षति पहुंची. सोयाबीन को अंकुर आ गए. कपास के बोंड सड़ गए. मूंग तथा उड़द की भी नष्ट हो गई. ऐसे में राजस्व विभाग ने फसल की स्थिति अच्छी दिखा कर किसानों के जख्म पर नमक छिड़कने का ही काम किया है.
1 लाख 77 हजार 362 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल क्षतिग्रस्त प्रशासन के आंकड़ों के तहत अगस्त तथा सितंबर माह में अतिवृष्टि तथा बाढ़ से जिले में एक लाख 77 हजार 362 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल को क्षतिजास्त हुई है. इसमें एक लाख 87 हजार 225 किसानों का भारी नुकसान हुआ. जिसके चलते सरकार ने अतिवृष्टि से पीड़ित जिले के किसानों के लिए 113 करोड़ 16 लाख रुपए निधि वितरित करने के लिए मंजूरी दी है. वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग की ओर से संशोधित पैसेवारी 53 फीसदी घोषित करने से जिले के किसान अचंभित है.