Pusad-Shri-Ram-Temple-has-300-years-of-ancient-history

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पुसद. शहर के मध्य इलाके में हटकेश्वर वार्ड में स्थित प्राचीन श्रीराम मंदिर को 300 साल का प्राचीन इतिहास है. पुसद शहर ही नहीं बल्कि तहसील के ग्रामीण इलाकों के श्रद्धालुओं के लिए यहां का श्रीराम मंदिर तीर्थश्रेत्र के रूप में प्रसिद्ध है.

यह मंदिर जिस जगह पर है, उस जगह के मालिक रामचंद्र पंडित ने निंबी पारडी  निवासी तुकाराम बालंभट को साल 1916 में दान स्वरूप दी थी. दानशुर को कोई संतान नहीं होने से तुकाराम ने उनकी सेवा की. इसीलिए उन्होंने सेवा के बदले में लगभग 700 चौरस फूट जगह दान में दे दी. उस जगह पर मंदिर बनाया गया है. उस दौर में यहां मिट्टी के छोटे मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता की मूर्ति की स्थापना की गई थीं. तभी से यहां के मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों की शुरूआत हुई है.

कहा जाता है कि अयोध्या से आते समय प्रभू श्रीराम यहां कुछ देर के लिए रूके थे. यह मंदिर 300 साल पहले बनाया गया था. इस मंदिर में प्राचीन दौर की रामलला, लक्ष्मण व जानकी माती की मूर्तियां मिली है. यह मूर्तियां अयोध्या में मिली रामलला की मूर्ति के समान है. इसीलिए मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ गई है. मंदिर परिसर में प्राचीन दौर से ही रामजन्मोत्सव मनाने की परंपरा है और यह परंपरा आज भी जारी है. तुकाराम गुरु का परिवार आज भी मंदिर की देखरेख पुजारी के रूप में कर रहा है.

शहर के लोगों ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए पूर्व महापौर सतीश बयास को एक प्रस्ताव सौंपा था. सतीश बयास ने तुरंत इस प्रस्ताव पर ध्यान दिया और मंजूरी दी. इसके बाद उन्होंने अपने पारिवारिक मित्र मनीष शाह को बुलाया और एक लाख का दान दिया. इसके बाद अविलंब मंदिर का जीर्णोद्धार करने की अपील की. मनीष शाह ने बयास मित्र परिवार के उमाकांत पापिनवार और अभय गडाम की मदद से मंदिर का निर्माण शुरू किया.

इस कार्य को पूरा करने के लिए स्वर्गीय सतीश बयास के सैकड़ों दोस्तों और परिवार के सदस्यों ने तुरंत आर्थिक मदद की. आज यहां प्राचीन श्री राम का एक भव्य मंदिर बनाया गया है और सभी धार्मिक त्योहारों की शुरुआत इसी मंदिर से होती है. श्री रामजन्मोत्सव समिति द्वारा इस मंदिर से बड़ी संख्या में रामनवमी पर रैली निकाली जाती है. यह प्राचीन मंदिर पुसद निवासियों के लिए पूजा स्थल बना हुआ है.