38 किमी मार्ग को पूरा करने क्या लगेंगे 38 साल?, वाहनधारकों की बढी परेशानियां

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    • मार्ग का निर्माणकार्यपडा है बंद

    झरीजामणी. ग्रामीण इलाकोंका विकास बेहतर और पक्की सडकों पर निर्भर है. लेकिन झरीजामणी तहसील के नागरिकों औरवाहनधारकों को बेहतर सडकों से आवागमन करने के लिए और कितना इंतजार करना पडेगा? यह सवाल अब भी बना हुआ है. झरी जामणी तहसील के ग्रामीण इलाकों में सडकें तो है लेकिन यह सडके पूरी तरह से उबड खाबड हो चुकी है.

    इतना ही नहीं तो एक सडक ऐसी है जिसकी 38किमी तक मरम्मत करना है. लेकिन यह सडक अब तक अधूरी अवस्था में पडी हुई है. अब तोनागरिक यहीं सवाल उठा रहे है कि क्या 38 किमी वाली सडक को बनाने में पूरे 38 साल लगेंगे? झरी जामणी तहसील में आनेवाले ग्रामीण इलाकों की सडकों की हालत काफी बदहाल है.

    इससे भी बदहाल सडक झरी सेमाथार्जुन, सिमला व पांढरकवडा को जोडनेवाली है. यह मार्ग केवल 38 किमी का है. मार्ग की दुरूस्ती का ठेका ईगल नामक निजी कंपनी को दिया गया है. लेकिन कंपनी की ओर से बीते देढ साल से सडक की दुरूस्ती का कार्य रत्तीभर भी नहीं किया गया है. जबकि सडक को पूरी तरह से उखाडकर रख दिया है.

    सडक को उखाडकर रख दिए जाने से वाहनधारकों को अपने वाहन लेकर गुजरना भी खतरनाक साबित हो रहा है. इस उबड-खाबड सडक से वाहन लेकर गुजरते समय वाहनधारकों को हरसंभव दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. लेकिन अब तक मार्ग की दुरुस्ती उचित ढंग से नहीं की जा रही है. मार्ग की दुरूस्ती का काम भी फिलहाल रोक दिया गया है.

    जिससे वाहनधारकों की परेशानियां ओर भी ज्यादा बढ गयी है. आधे अधूरे खोदकर रखे हुए मार्ग की दुरूस्ती तत्काल करने की मांग को लेकर ग्रामीणों की ओर से अनेक मर्तबा निर्माणकार्य विभाग के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर ध्यानाकर्षण भी कराया गया है. लेकिन निर्माणकार्य विभाग के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के कानों तक जू भी नहीं रेंघ रही है.  यहां के लोगों को अब भी चकाचक सडकों पर वाहन दौडाने का सपना कब पूरा होगा इसका इंतजार बना हुआ है.

    मुकूटबन से पाटनबोरी मार्ग भी अधूरा मुकूटबन से पाटनबोरी मार्ग की हालत भी झरीजामणी तहसील के 38 किमी वाले मार्ग की तरह ही है. इस मार्ग की मरम्मत पर भी निर्माणकार्य विभाग की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. मार्ग का मरम्मत कार्य अब भी अधूरा पडा हुआ है. जिसके चलते वाहनधारकों को अनेक कठीनाईयों का सामना करना पड रहा है. मार्ग की मरम्मत करने की मांग जोर पकडती जा रही है.