ईसापुर बांध पर जल सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी

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    • बांध की दाहीनी ओर बांए नहर का मलाबा निकालने के लिए जेसीबी का प्रयोग 

    शेंबालपिपंरी. स्थानीय इसापुर बांध के दाहीने और से बांए नहर का मलबा निकालने के लिए जेसीबी का प्रयोग किया गया है. लेकिन जलसिंचाई के वरिष्ठ आधिकारियों ने इस ओर पूरी तरह से नजरअंदाज किया. जिसकी वजह से जेसीबी से नहर का मलबा निकालते समय बांध को बडी मात्रा में क्षति पहुंची है. इस मामले पर कार्यकारी अभियंता जगताप द्वारा ध्यान देने की मांग नागरिकों की ओर से की जा रही है. 

    विदर्भ का सबसे बडा इसापुर बांध यह शेंबालपिपंरी से 4 की. मी.  दूरी पर है. इस प्रकल्प केका दायी नहर यह मराठवाडा से कडपा देव से गया है. बायी नगर शेंबालपिपंरी  से  उमरखेड, ढाणकी, बिटरगाव,  संहस्रकुंड तक गया है. इन दोनों नहर को अनेक मायनर है. इस मायनर के माध्यम से बांध का जल किसानों के खेत तक पहूचता है. इन छोटे मायनर नहर में  मलबा तैयार होने की वजह से अनेक जगह से नहर का जल लिंकेज हो रह था. 

    इस वजह से  दाए नहर में हदगांव तहसील के नहर का मलबा निकालने का काम  हुआ है. इस काम में किसानों से जल सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने एकड के हिसाब से पैसे लेने की चर्चा जोरों से है.  क्योंकि यह निकाला हूआ मलबा  व मुख्य नहर के समीप मुरूम, गिट्टी है. साथ ही इसी मलबे के माध्यम से किसानों को यातायात करने के लिए रास्ते का निर्माण करने की चर्चा भी है. शेंबालपिपंरी से सहस्रकुंड तक गए बाय नहर का मलबा कुछ जगह पर निकाला गया है लेकिन उसकों निकाले  के लिए जेसीबी का उपयोग किया. 

    लेकिन मुख्य नहर की खाली ज्यादा होने की वजह से उसमें जेसीबी उसमे उतरने संभव नही था.  ऐसे में जलसिंचाई विभाग के अधिकारियों की अनुमती से या ठेकेदारों मर्जी से मुख्य नहर का सिमेंट कॉक्रेट तोडन जेसीबी नहर में डाली गई. जिस वजह  नहर खराब हो गई ओर उसका मलबा भी सही तरीके से नही निकाला गया.  इस नहर का मलबा निकालने के लिए काम में अधिकारियों ने  आर्थिक व्यवहार कर नॉमिनल ठेकेदार से मिलीभगत करने की चर्चा नागरिकों में है.