यवतमाल. जिले में खरीप मौसम की कपास समेत सोयाबीन का भी क्षेत्र है. वर्षे 2021- 22 के खरीप मौसम में जिले में कुल तीन लाख हेक्टर क्षेत्र पर सोयाबीन फसल की बुआई की गई थी. यवतमाल जिले में इस वर्षे लगतार बारिश व अतिवृष्टी के चलते सोयाबीन बीजोत्पादन क्षेत्र बडे पैमाने पर बाधित हूआ है.
खरीप 2022 मौसम के लिए सोयाबीन प्रमाणित बीजों की आवश्यकता व कमी को ध्यान में रखते हूए कृषी विभाग महाराष्ट्र शासन के निर्देश के नुसार महाबीज मार्फत राज्यभर रब्बी- ग्रीष्म मौसम 2021- 22 के लिए प्रमाणित सोयाबीन बीजोत्पादन कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
उसी अनुषंग को लेकर सोयाबीन बिज कार्यक्रम रब्बी-ग्रीष्म मौसम 2021-22 में चलाने की दृष्टी से जिलास्तरीय समिती की सभा जिलाधिकारी अमोल येडगे के अध्यक्षता में राजस्व भवन में सोमवार 22 नंवबर को हूई. इस सभा में महाबीज जिला व्यवस्थापक ए.आर.ठाकरे ने जिले में महाबीज मार्फत कूल 3000 एकड क्षेत्र पर सोयाबीन बीजोत्पादन कार्यक्रम का नियोजन तहसील निहायी करने की जानकारी दी.
बीजोत्पादन कार्यक्रमा के लिए सोयाबीन के फुले संगम, एम.ए.यु.एस. 612, एम.ए.यु.एस. 158 व जे.एस.9305 इस जाती के पायाभूत बिज किसानो को पूर्ती की जायेगी. इस समय पर जिलाधिकारी ने जिले के किसानों ने बीजोत्पादन कार्यक्रम के लिए 30 नंवबर तक पंजीयन पुरी कर पायाभूत बिज किसानों को उपलब्ध कर देने के निर्देश दिए. खरीप मौसम 2022 में सोयाबीन बीज की कमी ना हो इस दृष्टी से नियोजन करने की सूचना भी इस समय जिलाधिकारी ने दी.
इस सभा को सहयोगी संशोधन संचालक डॉक्टर प्रमोद यादगिरवार, कृषी विज्ञान केंद्र के कीटक शास्त्रज्ञ डॉक्टर प्रमोद मगर, पुसद के उपविभागीय कृषी अधिकारी डॉक्टर प्रशांत नाईक, जिला बीज प्रमाणीकरण अधिकारी कुंटावार, कृषी अधिकारी अनिल राठी, पंकज बरडे समेत उपस्थित थे.