आज विश्व चिडिया दिन: ग्लोबल वार्मिंग धोका चिडिया प्रजाति पर भी, अब आनेवाले पीढी को किताबों में देखनें को मिलेगी चिडिया कथा

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    यवतमाल.  लगभग 70-80 के दशक में अपने बच्चों को अपने बच्चों को अंगण में बिठाकर एक अंगण में बैठाकर एक नेवाला चिडिया का एक नेवाल कौवे का यह कहकर अपने बच्चों को भोजन खिलाती थी. बच्चा भी इस चिडिया को देखकर  भोजन करता था. अपने दादी के साथ चिडिया का कथा सुनते सुनते बच्चा सोया करता था लेकिन इस बढते तापमान की वजह से चिडिया का अस्तित्व खतरे में आया है. इस चिडिया कवे की कथाए अब केवल किताबों में देखने को मिलेगी.

     आज के स्थिती में देखा जाए तो चिडिया दिखाई नही दे रही है.  यह ना दिखाई देनवाली चिडिया हर के एक जिंदगी से जूडी हूई है. लेकिन अब इस पीढी को इस चिडिया की किलबिल्हाट कान पर आना दूर्लभ हो गया है. अब यह चिडिया कविता, कथा समेत केवल फिल्मों में शेष रहेगी क्या यह सवाल उठने लगा है. 

    चिडिया का संरक्षण को देखत हूए चिडिया को लेकर जनजागृति के लिए 20 मार्च को विश्व चीडिया दिन मनाया जाता है. बढते शहरीकरण से हो रही पर्यावरण की क्षति, यह चीडिया की संख्या कम का कारण बताते है. 70 से 80 के दशक में बए कौलारू के आवास टॉवर से निर्माण होनेवाला चुंबकिय उत्सर्जन, बढता तापमान, सुकी पढ रही नदी नाले विविध मिल, खेतों में होनेवाली किटकनाशक दवाईया समेत पेडो की कटाई इस जैसे विविध समस्याओं की वजह से  पशू समेत चिडिया को भी खतरा निर्माण हुआ है. चिडिया की संख्या लगातार कम हो रही है.  आज के स्थिती में यवतमाल जिले में धान, तीर चिडिया, कॉमन चीडिया, रान चीडिया समेत अन्य चीडिया की प्रजाती दिखाई दे रही है.

    ग्रीष्मकाल शुरू हो गया है. जिले में कही जगहों पर जलकिल्लत का सामना करना पड रहा है. जिस वजह से पशु पक्षियों को भोजन, जल असानी से मिलना असंभव हुआ है. साथ ही इस कडी धूप की वजह से चीडिया छाव से अपना भोजन करने की तलाशी में निकाली तो उसके जान को खतरा होने की संभावनाए ज्याादा होती है. जिस वजह से चीडिया को बचाने के लिए अपने घर के नजदीक पेड पर चिडिया के लिए भोजन व जल का प्रंबध करना चाहिए.

    -निलेश मेश्राम अध्यक्ष एम़ एच़ 29 हेल्पींग हँड

    बढते विश्वविकरण की वजर से अन्य प्राणियों जेसे इस छोटी चिडिया का भी अस्तित्व खतरे में आया है. जिले में आज के स्थिती में धान चीडिया, तीर चिडिया, कॉमन चिडिया इन चिडिया का पंजीयन हूआ है. पहले जैसे होनेवाला स्थालांतर जिले में आनेवाले चिडिया समेत अन्य पक्षियों की संख्या कम हो गई है. जिस वजह से हम सभी को इस पक्षियों के लिए अपने बगीचा, छत, समेत आसपास के पेडो पर उनकी भोजन व जल की व्यवस्था करनी चाहिए. ताकी चिडिया की संख्या में बढोत्तरी हो जाए.

    - राम गाडेकर, पक्षी अभ्यासक, अध्यक्ष मयुर पक्षीमित्र सोयायटी