जिला पशु अस्पताल में एक वर्षे से एक्सरे व सोनोग्राफी मशीन पडी बंद

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    • एक्सरे व सोनोग्राफी के लिए पशुओं को नापगूर व वर्धा में ले जना पडता है

    यवतमाल.  इन दिनों मानव जाती समेत जानवरों भी पालतू जानवरों में संक्रमण जैसी बिमारियों ने सिरकाव किया है. ऐसे में जानवारों पर उपचार के लिए बनाए गए जिला अस्पताल में पिछले एक वर्षे से एक्सरे मशीन व सोनोग्राफी मशीन बंद पडने की वजह से पशू  प्रेमियों को अपने जानवारों को मेजर उपचार के लिए नागपूर के लिए रेफर करना पड रहा है. जिस वजह से पशूओं पर कैसे उपचार होगें यह सवाल पशू प्रेमियों से किया जा रहा है. 

    पशु को लेकर सरकार विविध योजनाओं कार्यंन्वित किया जा रही है. साथ ही पालतू जानवरों में कोई संक्रमण समेत अन्य बिमारियों समेत अन्य बिमारियों पर उपचार करने के लिए जिला  पशू अस्पताल का निर्माण भी किया गया है.

    इन जिला अस्पताल में पशूओं की संकमण बिमारियों समेत अन्य बिमारियों पर उपलब्ध संसाधानों में  उपचार किए जाते है. लेकिन किसी पशूओं को गंभीर रूप की बिमारी है ओर उसका एक्सरे व सोनोंग्राफी करनी की जरूरत पडने पर इन पशूओं को नागपूर को ले जाना पड रहा है. जिस वजह से जिले के पशूओं को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा नही मिल पा रही है.

    इन संक्रमण बिमारी का ज्यादा फैलाव 

    इस वर्ष जिले में खास कर कुतों पर  कॅनन डिस्टेमबर व परावो वायरस यह नया नही है. लेकिन इस वर्षे यतमाल से सट्टे जिले में आया है. साथ ही यवतमाल जिले में भी इस वायरस का कम प्रमाण में संक्रमण हूआ है. यह संक्रमण ज्यादात्तर अवरा कुत्तों में फैलता है. 

    प्रतिदिन 65 से 70 पशु आते है

    नागरिक अपने पालतू जानवरों का सेहत का ध्यान रखतें हूए उसमें कोई संक्रमण की बिमारी व रूटिंग चेकअप को लेकर जिला अस्पताल के बाह्य मरीज सेवा  में प्रतिदिन 65 से अधिक पशू उपचार के लिए आते है. इसमें से ज्यादात्तर कुते को होते है. तो कुछ इन्सानियत दिखाकर पशूप्रेमि अवारा मवशेयियों को लेकर आते है.

    लगभग 15 लाख के आसपास का  प्रस्ताव 

    अस्पताल में पशूओं के उपचार के लिए कोई कम ना रहे इस वजह से अस्पताल प्रशासन ने जिला नियाजन समिती व  संबधित विभाग के पास बंद पडे एक्सरे मशीन व सोनोंग्राफी समेत अन्य साहित्य  के संबध में लगभग 15  लाख के आसपास प्रस्ताव जूलाई माह में भेज दिया है.

    – डॉ. बी. बी. चव्हाण, पशूधन विकास अधिकारी, यवतमाल