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    नई दिल्ली/रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा कोष में 18 करोड़ रुपये से अधिक के कथित गबन से जुड़े धन शोधन के एक मामले में झारखंड की खनन सचिव के परिसर सहित कई अन्य ठिकानों पर बृहस्पतिवार को छापेमारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

    अधिकारियों ने बताया कि रांची के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के परिसर से कम से कम 17 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए हैं। उन्होंने बताया कि शहर के अन्य परिसरों से करीब 1.8 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए हैं। मामला 2008 से 2011 के बीच का है। उन्होंने बताया कि झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों में 18 परिसरों में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापेमारी की जा रही है।

    अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी एवं झारखंड सरकार के खदान एवं भूविज्ञान विभाग की सचिव पूजा सिंघल के परिसर की भी तलाशी की जा रही है। सिंघल 2000 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और पहले खूंटी जिले में उपायुक्त के रूप में तैनात थीं। एजेंसी के अधिकारियों द्वारा रांची में एक अस्पताल सहित कुछ अन्य स्थानों पर भी छापेमारी की जा रही है। केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल के कर्मी उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।

    छापेमारी जिस धन शोधन के मामले में की जा रही है, वह झारखंड के कनिष्ठ अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए के तहत दर्ज मामले से जुड़ा है। पीएमएलए के तहत मामला दर्ज होने के बाद सिन्हा को 17 जून 2020 को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले से प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था।

    केंद्रीय एजेंसी ने झारखंड सतर्कता ब्यूरो द्वारा सिन्हा के खिलाफ दर्ज की गई 16 प्राथमिकी और आरोपपत्रों का संज्ञान लिया था। इनमें सिन्हा पर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने, जालसाजी और धन की हेराफेरी के जरिये 18.6 करोड़ रुपये के सरकारी धन का गबन करने का आरोप लगाया गया था। सिन्हा से पूछताछ करने के बाद अगस्त 2020 में एजेंसी ने उनके खिलाफ एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने 4.28 करोड़ रुपये की उनकी सम्पति भी जब्त की है। (एजेंसी)