चेन्नई. तमिल महीने ‘थाई’ की शुरुआत के साथ खेती और फसलों से जुड़ा उत्सव ‘पोंगल’ पूरे तमिलनाडु (Tamil Nadu) में सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। पोंगल उत्सव के साथ ही मदुरै के अवनियापुरम में सांड को काबू करने की लोकप्रिय प्रतियोगिता ‘जल्लीकट्टू’ (Jallikattu) का भी शुरू हो गया है। इस दौरान कई युवाओं ने बेकाबू सांडों को काबू में करने की कोशिश की। इसमें दो पुलिसकर्मियों सहित 45 लोग घायल हो गए और 9 लोगों को आगे के इलाज के लिए मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में रेफर किया गया है।
1000 सांड और 600 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हिस्सा
अवनियापुरम में जारी जल्लीकट्टू में लगभग 1000 सांड और 600 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को अवनियापुरम जल्लीकट्टू उत्सव में एक कार दी जाएगी। इस बार केवल पास वाले बैल मालिकों, काबू पाने वालों को ही अवनियापुरम जल्लीकट्टू में प्रवेश की अनुमति दी गई है। अवनियापुरम के बाद 16 जनवरी को पलामेडु और 17 जनवरी को अलंगनल्लूर में जल्लीकट्टू का आयोजन होगा।
#WATCH | Tamil Nadu: Jallikattu competition underway in Avaniyapuram, Madurai.
45 people, including two police personnel, got injured in the Avaniyapuram Jallikattu event and 9 people were referred to Government Rajaji Hospital in Madurai for further treatment. pic.twitter.com/81rw5pQ4S8
— ANI (@ANI) January 15, 2024
जल्लीकट्टू पर 2014 में लगी थी रोक
गौरतलब है कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर रोक लगा दी थी। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने केंद्र से इस खेल को जारी रखने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की। 2016 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की और कुछ शर्तों के साथ जल्लीकट्टू को मंजूरी मिली।
‘जल्लीकट्टू’ तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत
यह मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां पशु क्रूरता अधिनियम में बदलावों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। इस दफा पेटा ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र में होने वाली बैलों की परंपरागत दौड़ पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ‘जल्लीकट्टू’ तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017, जानवरों के दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम करता है।