Blast in Pakistan
File Photo (Representational Image)

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    शिमला: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में मंगलवार को एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में 7 प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई और 14 अन्य घायल हो गए, घायलों में नौ महिलाएं शामिल हैं। 11 घायलों को पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ में स्थानांतरित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने संभागायुक्त को घटना की जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

    अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर शोक व्यक्त किया और कहा कि घटना में मारे गए लोगों के परिवारों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से दो-दो लाख रुपये दिए जाएंगे। प्रत्येक घायल को 50-50 हजार दिए जाएंगे।

    ऊना के उपायुक्त राघव शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि घटना ऊना जिले की हरोली तहसील के बथू औद्योगिक क्षेत्र में हुई और पीड़ित दूसरे राज्यों के प्रवासी मजदूर है।  उन्होंने कहा कि अवैध फैक्ट्री को अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अधीक्षक अरिजीत सेन ने संवाददाताओं को बताया कि कारखाना मालिकों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं। शर्मा ने कहा कि पुलिस और उद्योग विभाग द्वारा कारखाने से संबंधित जानकारी का सत्यापन किया जा रहा है।  इससे पहले, राज्य आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन ने कहा था कि सात लोग मारे गए, लेकिन बाद में उन्होंने मरने वालों की संख्या छह बताई।

    अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है। घायलों की पहचान नरसाला, लसरत, हसगिरी, जुशी, नसरीन, शकीला, इशरत, अस्मा, नतीशा, मुस्कान, जाफरी, फरहा, जशील के रूप में हुई है। उन्होंने कहा कि वे फिलहाल ऊना जिले में विभिन्न स्थानों में रह रहे थे, जबकि उनके स्थायी पते का पता लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने जनहानि पर दुख व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन को प्रभावित लोगों को तत्काल राहत मुहैया कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

    नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने दुर्घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ अनुकरणीय कार्रवाई की मांग की। इस दौरान ग्राम प्रधान रेखा राणा ने मीडिया को बताया कि ग्राम पंचायत से अनुमति न मिलने के कारण पटाखा फैक्ट्री अवैध रूप से चलाई जा रही थी।

    उन्होंने घटना के लिए जिम्मेदार फैक्ट्री मालिकों और अन्य के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि फैक्ट्री में करीब एक साल पहले तौल की मशीनें बनाई जा रही थीं और पटाखों के निर्माण के बारे में किसी को पता नहीं था। एसपी अरिजीत सेन ने मीडिया को बताया कि उन्हें ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला है जिससे पता चलता हो कि फैक्ट्री वैध है। (एजेंसी)