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प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)

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गोसाईगांव: उग्रवाद और हथियारों को चार साल पहले अलविदा कह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपना भरोसा जता चुके पूर्व उग्रवादी बेसब्री से मतदान करने का इंतजार कर रहे हैं ताकि उनके मतों से चुनी गई सरकार उनसे किए गए वादों को पूरा कर सके। अब भंग किए जा चुके नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) ने 2020 में बोडो शांति संधि के तहत उग्रवाद का रास्ता छोड़ दिया था और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए संगठन के करीब 1,600 सदस्यों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। समझौते के बाद उन्होंने बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद में हिस्सा लिया था। वे एक बार फिर सात मार्च को कोकराझार लोकसभा सीट के लिए अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए तैयार हैं।

पूर्व उग्रवादी उम्मीदों से भरे हैं, जैसा कि लगभग 30 पूर्व उग्रवादियों के चेहरों पर दिखाई दे रहा था। वे पसीने से तरबतर होने के बावजूद शाम को अपने एक पूर्व सहयोगी के आंगन में एकत्र हुए थे। लेकिन धैर्य के जवाब देने का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि समाज में घुलने-मिलने और खासकर आजीविका कमाने में मदद के संबंध में किया गया वादा अब भी जमीन पर पूरी तरह से नहीं उतरा है। बैठक में एकत्र लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करते प्रतीत हो रहे थे क्योंकि समझौते पर उनकी सरकार के तहत हस्ताक्षर किए गए थे, और पूर्व उग्रवादियों का मानना ​​​​है कि समझौते के सभी खंडों को लागू करने के लिए निरंतरता महत्वपूर्ण है। लेकिन वे चाहते हैं कि चीजें तेजी से हों जिससे वे आत्मविश्वास से अपने जीवन को आगे बढ़ा सके।

स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करने में सरकार द्वारा की गई पहल में मिशन फिर खिलेंगे प्रमुख है। इसके तहत पूर्व उग्रवादियों को विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए सहकारी समितियों में संगठित किया जाता है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे निकाय के महासचिव बिनौल वार्री ने कहा, 2,100 से अधिक सदस्यों वाली कुल 19 सहकारी समितियां पहले ही पंजीकृत हो चुकी हैं, जबकि अन्य दो का गठन हो चुका है और वे पंजीकरण की प्रतीक्षा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कुल 30 सहकारी समितियां गठित करने का लक्ष्य है जिनमें बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के बाहर रहने वाले पूर्व उग्रवादियों को भी शामिल किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि पंजीकृत सहकारी समितियों में से आठ के पास पहले से ही योजनाएं है जिनके क्रियान्वयन के लिए धन स्वीकृत हैं। इनमें पांच की योजना चावल मिल स्थापित करने की है। एक पूर्व एनडीएफबी उग्रवादी ने दावा किया, हमें इन आठ सहकारी समितियों के लिए धन प्राप्त हुआ है लेकिन यह सभी जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है। चावल मिल के लिए जरूरी उपकरण नहीं है जबकि सैनिटेरी पैड की निर्माण इकाई में उपकरण तो है लेकिन कच्चा माल खरीदने के लिए पैसे नहीं है। एक अन्य पूर्व उग्रवादी मार्क दैमारी ने कहा कि बैंक से ऋण लेना लगभग असंभव है क्योंकि इसके लिए कुछ गिरवी रखने की जरूरत होती है जो उनके पास नहीं है। सहकारी समितियों के लिए कागजी कार्रवाई करने वालों में शामिल दैमारी ने कहा, यहां तक कि हमने सीएसआर के तहत राशि प्राप्त करने के वास्ते निजी कंपनियों से भी संपर्क किया लेकिन हमें बताया गया कि सहकारी समितियों को सीएसआर की राशि आवंटित नहीं की जा सकती। (एजेंसी)