नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षक भर्ती (West Bengal Teacher Recruitment) में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा तृणमूल कांग्रेस विधायक माणिक भट्टाचार्य (Manik Bhattacharya) की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने भट्टाचार्य की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी, क्योंकि इसी से संबंधित सीबीआई मामले में उन्हें संरक्षण का अंतरिम आदेश मिल चुका है।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने विधायक से संबंधित परिसरों की तलाशी के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किये जाने को लेकर ईडी की दलीलों का संज्ञान लिया। पीठ ने कहा, ”हम प्रवर्तन निदेशालय द्वारा याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी को अवैध नहीं ठहरा सकते, क्योंकि धनशोधन या अपराध से अर्जित कमाई का मामला उच्च न्यायालय की एकल पीठ या खंडपीठ के सामने नहीं आया था।”
न्यायालय ने कहा, ”हालांकि, मौजूदा विशेष अनुमति याचिकाओं में पारित अंतरिम आदेश के सवाल पर सुनवाई के दौरान हमारे संज्ञान में लाया गया था कि याचिकाकर्ता प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच में सहयोग कर रहा था।” शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को किसी अन्य जांच एजेंसी की दंडात्मक कार्रवाई से बचाने से संबंधित सामान्य संरक्षण आदेश एक अलग एजेंसी द्वारा शुरू की गई इतर कार्यवाही में पारित नहीं किया जा सकता है।
पीठ ने कहा, ”धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत, धनशोधन एक स्वतंत्र अपराध है और अगर प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ अधिकार क्षेत्र से परे कार्य करने का कोई आरोप होता है या उनकी गिरफ्तारी का कार्य कानून के तहत अधिकृत नहीं है, तो याचिकाकर्ता उपयुक्त न्यायालय के समक्ष अर्जी देने के लिए स्वतंत्र होंगे।” शीर्ष अदालत ने कहा, ”लेकिन कार्यवाही से उत्पन्न विशेष अनुमति याचिका में उस प्रश्न की पड़ताल नहीं की जा सकती, जिसमें धनशोधन का सवाल शामिल नहीं था।”
पीठ ने कहा, ‘‘आवेदन खारिज किया जाता है।” प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितता के मामले में ईडी ने भट्टाचार्य को 11 अक्टूबर को रातभर चली पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भट्टाचार्य को कथित तौर पर जांच में सहयोग नहीं करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। वह नादिया जिले के पलाशीपारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 18 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं की जांच आगे बढ़ाने की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को अनुमति दे दी थी। शीर्ष न्यायालय अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू की दलील से सहमत हो गया था। सीबीआई की ओर से पेश हुए राजू ने दलील दी थी कि जांच एजेंसी असाधारण पहलुओं वाले एक भर्ती घोटाले का पर्दाफाश करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है। साथ ही, इस समय जांच से प्रथम दृष्टया यह खुलासा होता है कि नियुक्तियों में धन का लेनदेन हुआ।
न्यायालय ने कहा था, ‘‘लेकिन सीबीआई के वकील की दलील और एजेंसी की जांच की प्रगति पर विचार करते हुए हम इस समय जांच को अटकाना नहीं चाहते तथा यह देखने का इंतजार करें कि क्या राज्य पुलिस इसी तरह से निष्पक्ष जांच कर सकती है।” न्यायालय ने शिक्षक के तौर पर 269 उम्मीदवारों की भर्ती को रद्द करने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर भी रोक लगा दी थी। शीर्ष न्यायालय ने निर्देश दिया था कि ये 269 व्यक्ति बताये गये पदों पर अपनी-अपनी भर्ती का बचाव करने के लिए हलफनामा दाखिल करें। न्यायालय ने नियुक्ति करने वाले प्राधिकार से उनकी नियुक्तियों की वैधता की जांच करने को कहा था। (एजेंसी)