प्रयागराज: वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Case) के एएसआई सर्वे पर लगी रोक बढ़ गई है। इस मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) कल यानी गुरूवार को सुनवाई करेगा। इस मामले को लेकर कल दोपहर 3:30 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर से सुनवाई होगी। कल सुनवाई होने तक यह रोक बरकरार रहेगा। उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे पर शीर्ष अदालत की रोक का आदेश आज शाम 5 बजे तक प्रभावी था।
मामले में हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए विष्णु शंकर जैन ने कहा, “एएसआई के अतिरिक्त निदेशक ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि सर्वेक्षण के दौरान संरचना को कोई नुकसान नहीं होगा। एएसआई सर्वेक्षण कल तक नहीं होगा जब अदालत इस मामले पर दोपहर 3.30 बजे फिर से सुनवाई करेगी।”
Allahabad High Court stays till tomorrow ASI survey of Gyanvapi Mosque complex in Varanasi
"ASI's Additional Director today filed an affidavit in Allahabad High Court stating that during the survey there will be no damage to the structure. The ASI survey will not take place till… pic.twitter.com/3CLCKGoktY
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 26, 2023
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अपील पर बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे सुनवाई शुरू की जो दोपहर साढ़े बारह बजे तक चली और दोपहर के भोजनावकाश के बाद सुनवाई फिर शाम साढ़े चार बजे से शुरू हुई। मस्जिद कमेटी के वकील ने दलील दी कि 21 जुलाई को आदेश पारित करते समय वाराणसी की अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंच गई कि सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनुपस्थिति में मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता, लेकिन अदालत ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उसके समक्ष रखी गई सामग्रियों पर चर्चा नहीं की।
उन्होंने कहा कि निचली अदालत को सबसे पहले पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन संपूर्ण शिकायत में इस तरह के साक्ष्य का कोई जिक्र नहीं है। सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा कि एएसआई को इस मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया गया और उसे सर्वेक्षण करने और इस मामले में विशेषज्ञ राय देने का निर्देश दिया गया। इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मुकदमे में विशेषज्ञों को पक्षकार बनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है और ऐसा कोई कानून नहीं है कि जिस मामले में विशेषज्ञ की राय ली जाती है उस मामले में उसे पक्षकार बनाया जाए।
जैन ने हस्तलेख विशेषज्ञों का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी मामले में इन्हें कभी पक्षकार नहीं बनाया गया, भले ही जरूरत पड़ने पर अदालत किसी मामले में हस्तलेख विशेषज्ञ की राय मांग सकती है। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने कहा कि वादी के पास वास्तव में कोई साक्ष्य नहीं है और वे एएसआई सर्वेक्षण की मदद से साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं। इसपर अदालत ने उनसे पूछा कि यदि कानून साक्ष्य के इस तरह के संग्रह की अनुमति देता है तो याचिकाकर्ता को क्या नुकसान होगा।
नकवी ने कहा कि वाराणसी की अदालत के समक्ष मुकदमे में एएसआई सर्वेक्षण के लिए यह उचित चरण नहीं है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई के सर्वेक्षण से ढांचे को किसी तरह का नुकसान होने नहीं जा रहा। इससे पूर्व, मस्जिद पक्ष के वकील ने आशंका जाहिर की थी कि सर्वेक्षण और खुदाई से ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। (भाषा इनपुट के साथ)