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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इस बार के मानसून (Monsoon) में पहले सूखे और बाद में हुई जोरदार बारिश (Heavy Rain) के बाद फूलों की खेती करने वालों के चेहरे मुरझा गए हैं। प्रदेश में फूलों की सबसे ज्यादा खेती वाले इलाके वाराणसी (Varanasi), लखनऊ और कन्नौज (Kannauj) सहित ज्यादातर जिलों में बागवानों के इस बार तगड़ी चपत लगी है। सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर आधे अक्टूबर तक हुई जोरदार बारिश के चलते सबसे ज्यादा उगाए जाने वाले गेंदा के फूलों के रंग फीके और काले पड़े है तो गुलाब में कीटों का प्रकोप फसल चौपट कर रहा है। 

    बागवानों का कहना है कि असमय की बारिश के चलते फूलों में बड़े पैमाने पर कीड़े लग गए हैं और जिस क्वालिटी के फूल तैयार हो रहे हैं उनके खरीददार नहीं मिल रहे हैं। मौसम की मार से अकेले गेंदा और गुलाब ही नहीं, बल्कि चमेली, बेला और यहां तक कि तुलसी के पौधों पर भी असर पड़ा है। राजधानी लखनऊ में चौक और नवीन मंडी स्थल पर लगने वाली फूलों की थोक बाजार में खरीददारों का टोटा साफ नजर आ रहा है, वहीं जो फूल उपलब्ध भी हैं उनकी अच्छी कीमत नहीं लग पा रही है। मंडियों में स्थानीय की बजाय बाहर से आ रहे फूलों की उठान हो रही है और कीमत भी महंगी लग रही है।  

    लखनऊ में भी फूलों की खेती का चलन बढ़ा 

    उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फूलों की खेती वाले जिले वाराणसी में बागवानों पर मार गहरी है, जहां बीते महीने आई बाढ़ ने खासा नुकसान कर दिया था। वाराणसी जिले में 565 हेक्टेयर में फूलों की खेती होती है, जिसमें सबसे ज्यादा करीब 130 हेक्टेयर का रकबा गेंदा का है। मंदिरों की बहुतायत के चलते वाराणसी शहर में ही फूलों की काफी मांग है, वहीं बाहर भी फूल भेजे जाते हैं।   वाराणसी के बाद हाल के दिनों में राजधानी लखनऊ में भी फूलों की खेती का चलन काफी बढ़ा हैं। लखनऊ शहर से सटे कस्बे बख्शी का तालाब, काकोरी से लेकर सीतापुर के इंटौजा और सिधौली तक में फूलों की खेती हो रही है।  इसके अलावा कन्नौज, बलिया और जौनपुर में फूलों की खेती व्यावसायिक तरीके से की जा रही है। 

    गुलाब में रंगत नहीं आई 

    लखनऊ में चौक स्थित फूलों की मंडी के कारोबारी का कहना है कि फूलों की खेती के लिए जून, जुलाई और अगस्त महीने की बारिश काफी मुफीद मानी जाती है। इस बार इन महीनों में तो बारिश नहीं हुई, जबकि अक्टूबर के महीनों में जब फूल तैयार हुए तो पानी कहर बन कर बरस गया। उनका कहना है कि जाते हुए मानसून की इस जोरदार बारिश के बाद गुलाब में रंगत नहीं आयी और गेंदा सहित कई अन्य फूल बरबाद हुए हैं।  

    नवरात्रि, दीवाली के त्यौहारों में आधी बिक्री हो पायी

    उनके अनुसार, वाराणसी के बाद लखनऊ में सबसे ज्यादा गेंदा और गुलाब के फूलों का कारोबार होता है, जबकि कन्नौज और जौनपुर में इत्र उद्योग के लिए चमेली और बेला की मांग खासी रहती है। वाराणसी, बलिया और जौनपुर सहित पूर्वी जिलों में रोज 50 लाख रुपए के फूल बिक जाते थे तो राजधानी लखनऊ में सीजन में 20 लाख रुपए तक का कारोबार हो जाता था। इस बार नवरात्रि और दीवाली में कारोबार ठंडा रहा तो आने वाले  नए साल की मांग को लेकर भी कोई उत्साह नहीं दिख रहा है।  लोगों का कहना है कि कोरोना के बाद से धंधा मंदा हुआ था और सामान्य के मुकाबले इस बार नवरात्रि, दीवाली के त्यौहारों में आधी बिक्री हो पायी है।