Jayant Chaudhary
File Photo : PTI

    Loading

    लखीमपुर खीरी:  राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यहां हुई हिंसा को लेकर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को अपनी मंत्रिपरिषद से हटा देना चाहिए। चौधरी ने पीड़ितों के परिवारों से गांव में मुलाकात के बाद कही। 

    चौधरी ने यह भी दावा किया कि ग्रामीणों ने मुलाकात के दौरान बताया कि हिंसा “पूर्व नियोजित” प्रतीत होती है और उम्मीद है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ‘‘किसानों पर कानूनी कार्रवाई नहीं करेगी।”

    रविवार को हुई हिंसा की इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव बनबीरपुर के दौरे से पहले रविवार को केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी।

    मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और भाजपा समर्थकों पर अपनी स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) से किसानों को कुचलने का आरोप है, जबकि मंत्री का दावा है कि घटना के दौरान उनका बेटा वहां मौजूद नहीं था। रालोद अध्यक्ष ने दिल्ली से 13 घंटे की लंबी यात्रा के बाद गुरवेंद्र सिंह (18) के परिवार से यहां तिकोनिया इलाके में उनके गांव में शाम करीब छह बजे मुलाकात की। इस यात्रा के दौरान चौधरी को भारी पुलिस तैनाती के बीच मार्ग और वाहन बदलने और यहां तक ​​कि पैदल चलने के लिए भी मजबूर होना पड़ा। पुलिसकर्मियों की तैनाती नेताओं को यहां पहुंचने से रोकने के लिए रास्ते में की गई थी।

    चौधरी ने पीटीआई-भाषा को फोन पर बताया, ‘‘मैंने सिंह के परिवार से मुलाकात की। वह सिर्फ 18 साल का था। परिवार गरीब है, उसके पिता एक श्रमिक हैं। मैं उसकी दो बहनों से मिला, जिन्होंने मुझसे कहा कि वे अपने माता-पिता की सेवा करेंगी। यह कहना उनके लिए कितनी साहस की बात है।” 

    उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अन्य ग्रामीणों से भी बात की और मुझे बताया गया कि जिन एसयूवी ने किसानों को कुचला, उनके आगे के हिस्से में डंडे लगे थे और यह टक्कर के प्रभाव को बढ़ाने के लिए किया गया था। इससे साबित होता है कि यह एक पूर्व नियोजित, अमानवीय आपराधिक कृत्य था जो हमने लखीमपुर खीरी में देखा है।”

    उन्होंने मोदी से केंद्रीय मंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने और उनके(मंत्री के), उनके बेटे और दोषी साबित होने वाले अन्य लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया। चौधरी ने नेताओं को हिंसा पीड़ितों के परिवारों से मिलने से रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पर भी निशाना साधा।

    उन्होंने कहा, ‘‘हम जन प्रतिनिधि के तौर पर लोगों की सेवा करने के लिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश नियमों के खिलाफ हैं।” वहीं कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने सोमवार को लखमीपुर पहुंचने के असफल प्रयास किए। 

    आदित्यनाथ के मुखर आलोचक और विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करने वाले किसानों के समर्थक रालोद नेता ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि रविवार की हिंसा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ‘‘किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं करेगी।”  चौधरी ने कहा कि जब तक वह लखीमपुर पहुंचे, तब तक इस मामले पर चर्चा के लिए स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों की एक पंचायत बुलाई जा चुकी थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकार लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का ध्यान रखेगी और ग्रामीणों और हिंसा पीड़ितों के परिवारों की मांगों को पूरा करेगी।” (एजेंसी)