up Rural Tourism

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh ) में कुटीर उद्योगों, आकर्षक स्थलों, इतिहास और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण गांवों को पर्यटन स्थल (Tourist Destination) के तौर पर विकसित किया जा रहा हैं। प्रदेश भर में 100 गांवों का चयन कर उन्हें पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। सभी 75 जिलों में इस तरह के एक या दो गांव चिन्हित किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार की नयी पर्यटन नीति (New Tourism Policy) के तहत गांवों में पर्यटन सुविधा का विकास कर वहां लोगों की आवाजाही बढ़ाने की योजना है। पर्यटन विभाग इन 100 गांवों में जरुरी सुविधाओं का विकास करेगा और उनका प्रचार भी करेगा। 

    इन गांवों में पर्यटकों के रुकने, कुछ समय बिताने के लिए गेस्टहाउसों, होम स्टे आदि के विकास के साथ मनोरंजन की सुविधाएं भी पर्यटन विभाग विकसित करेगा। प्रदेश में हथकरघे, जैविक खेती, खास कुटीर उद्योगों के लिए प्रसिद्ध गांवों को पर्यटक केंद्र के रुप में विकसित किया जाएगा।

    18 जिलों में अब तक एक-एक गांव का हो गया चयन 

    पर्यटन विभाग ने प्रदेश के 18 जिलों में अब तक एक-एक गांव का चयन कर लिया है। इनमें ललितपुर का देवगढ़, बांदा का रामनगर, चित्रकूट का चर, वाराणसी का तारापुर, बस्ती का शिवपुर, बाराबंकी का कोटवाधाम, लखीमपुर का चंदनचौकी, प्रयागराज का बनकट, गोरखपुर का मलांव, मथुरा का परसौली, आगरा का होलीपुरा, फिरोजाबाद का गुड्डन, अलीगढ़ का नयाबांस, झांसी का बरुआसागर और लखनऊ का कठवारा आदि शामिल हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बाद भी अभी तक आकर्षण का केंद्र आगरा, वाराणसी, अयोध्या, कुशीनगर, श्रावस्ती, झांसी, मथुरा व गोरखपुर जैसे कुछ चुनिंदा शहर ही बन पाए हैं। गांवों में सुविधाओं के विकास के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

    विशेषज्ञों का एक पैनल सलाहकार के तौर पर काम करेगा

    हाल ही में नयी पर्यटन नीति के तहत गांवों में होम स्टे के साथ पुराने घरों और हवेलियों को ठहरने का स्थल बनाने के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की गयी है। गांवों को पर्यटक स्थल के रुप मे विकसित करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल सलाहकार के तौर पर काम करेगा। पर्यटक केंद्र के रुप में उन गांवों को भी चयनित किया जाएगा, जहां जैविक खेती की जा रही है या विशेष तरह की फसल उगायी जाती है। बुनकरों, हस्तशिल्पियों के गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी। इन गांवों तक पहुंच आसान बनाने के लिए सड़कों का निर्माण होगा और सार्वजनिक यातायात की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। गांवों तक पहुंच को सुगम बनाने के लिए हाल ही प्रदेश सरकार ने 645 किलोमीटर सड़कें बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी हैं।