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लखनऊ: पूरी दुनिया इस साल (2023) अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (Millets 2023) मना रही है। चूंकि यह आयोजन भारत (India) की पहल पर ही हो रहा है। लिहाजा देश में इस आयोजन को सफल बनाने की जोरदार तैयारियां चल रही हैं। उत्तर प्रदेश में कृषि अधिकांश लोगों की आजीविका का साधन है। दुनिया की उर्वरतम भूमि में शुमार इंडो-गंगेटिक बेल्ट (Indo-Gangetic Belt) का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही आता है। भरपूर पानी और मानव संसाधन होने के नाते उत्तर प्रदेश में किसी तरह की खेती की संभावना भी अच्छी है। यही वजह है कि मात्र 11 फीसदी रकबे वाला उत्तर प्रदेश देश का 20 फीसद खाद्यान्न पैदा करता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की खेतीबाड़ी में खासी रुचि भी है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष को सफल बनाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी।

मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के निर्देश पर तैयारियां भी इसी अनुरूप हो रही हैं। ‘उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्धार कार्यक्रम’ चला रही है। मंशा यह है कि मिलेट्स की पोषण संबंधी खूबियों से लोग वाकिफ हों। बेहतर स्वास्थ्य  और सुरक्षा के लिए अधिक्तम लोग इनका किसी न किसी रूप में इनका उपभोग करें। इसके मद्देनजर योजना के तहत मिलेट्स फसलों (बाजरा,ज्वार, सावा, कोदो आदि) की खेती को व्यापक पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए समग्रता में प्रयास किए जा रहे हैं। मसलन रकबे और उपज में वृद्धि, तैयार उत्पादों का प्रसंस्करण आदि।  उत्तर प्रदेश सरकार मिलेटस पुनरोद्धार कार्यक्रम पर  ( जनवरी 2023- 2026-27) 186.27 करोड़ रुपए खर्च करेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021-22 में कुल 10.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्रमुख मिलेट्स फसलों का उत्पादन होता है। इसमें बाजरा, ज्वार, कोदो और  सावा का रकबा क्रमशः 9.05 , 1.71, 0.02, 0.05 लाख हेक्टेयर है। 2026-27 तक इनकी बोआई का रकबा बढ़ाकर तक 25 लाख हेक्टेयर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य योगी सरकार ने तय किया है।

राज्य सरकार 11.86 करोड़ रुपए खर्च करेगी

चार साल में 2.5 लाख किसानों को निःशुल्क बीज देने में 11.86 करोड़ रुपये खर्च करेगी इसके लिए सरकार किसानों को निःशुल्क बीज मिनीकिट वितरित करेगी। योजना के तहत चार वर्षों में 2.5 लाख बीज मिनीकिट मिलेटस के उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पर राज्य सरकार 11.86 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

बीजोत्पादन पर खर्च होंगे 7.20 करोड़ रुपए

मिलेट्स के बीजोत्पादन के लिए सरकार वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक कुल 180 कृषक उत्पादक संगठनों को  चार लाख रुपए प्रति एफपीओ की दर से सीड़ मनी उपलब्ध कराया जाएगा। इससे भविष्य में प्रदेश में मिलेटस की विभिन्न फसलों के बीज स्थानीय स्तर पर कृषकों को उपलब्ध हो सकेंगे। इस कार्यक्रम पर चार वर्षों में 7.20 करोड़ रुपए का व्यय आएगा ।

चार साल में 2.9 लाख किसान सीखेंगे उन्नत खेती के तौर तरीके

मिलेट्स का रकबा और उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम राज्य से लेकर ब्लाक स्तर पर चलाए जाएंगे। इसके तहत हर साल 72,500 किसानों को हर साल मिलेट्स की बेहतर खेती के तौर-तरीकों के बाबत प्रशिक्षित किया जाएगा। इस तरह चार साल में कुल 2.9 लाख किसान लाभान्वित होंगे। इस तरह मिलेट्स फसलों के क्षमतावर्धऔरन  प्रचार-प्रसार पर चार वर्षों में  111.50 करोड़ रुपए का व्यय आएगा।

प्रसंस्करण पर जोर

वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक मिलेटस के मूल्य संवर्द्धन के लिए प्रदेश में कुल 55 मिलेटस प्रसंस्करण, पैकिंग और सह विपणन केन्द्र की स्थापना कराया जाएगा। एक इकाई की लागत 95 लाख रुपए आंकलित है। 25 इकाई की स्थापना के लिए कृषि विश्वविद्यालय  कृषि विज्ञान केन्द्रों को शत प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। 30 इकाइयों की स्थापना के लिए कृषक उत्पादक संगठन और उद्यमियों को कुल निर्धारित लागत का 50 फीसदी अनुदान देय होगा। तय समय मे इस पर लगभग 38 करोड़ रुपए खर्च होंगे।