Bhadohi Carpets

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: कोरोना संकट के चलते अंतरर्राष्ट्रीय मेलों से दो साल की दूरी के बाद एक बार फिर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के भदोही (Bhadohi) जिले की कालीनें (Carpets) विदेशों में अपना जलवा दिखाएंगी। अगले साल जनवरी में होने वाले कालीन मेले में बड़ी तादाद में भदोही के निर्यातक हिस्सा लेने जा रहे हैं। जर्मनी के हनोवर शहर में 12 जनवरी से आयोजित हो रहे इस मेले में भदोही के 134 निर्यातक हिस्सा लेंगे और अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। कार्पेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (सीईपीसी) के जरिए निर्यातकों ने कालीन मेले में भागीदारी के लिए अपनी पंजीकरण करवाया है।

    कोरोना संकट के चलते बीते दो सालों से अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर कालीन मेलों का आयोजन नहीं हो सका था। इससे पहले 2020 में हुए मेले में भदोही के 123 निर्यातकों ने भागीदारी की थी। अब एक बार फिर से जब कालीन मेले का आयोजन हो रहा है तो बड़ी तादाद में भारतीय निर्यातकों ने अपने स्टाल बुक करवाए हैं। कालीन निर्यातकों का कहना है कि पिछली बार 2020 के मेले में कई करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था और एक बार फिर से बड़ी तादाद मे आर्डर मिलने की उम्मीद है।

    करोना के दौरान भी विदेश से आते रहे ऑर्डर

    कालीन निर्यात अलीम खान के मुताबिक, महामारी के दौरान जहां सिल्क, चिकन सहित कई अन्य उत्पादों के मुकाबले कालीन निर्यात पर कम असर पड़ा था और मांग लगातार बनी रही। भदोही के कालीन कारोबारियों के मुताबिक, करोना संकट के दौरान भी विदेशों से कालीन के आर्डर आते रहे, जिन्हें पूरा किया गया।

    कालीन का निर्यात 95 फीसदी भदोही से होता है

    आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020-21 में राज्य से 4108.37 करोड़ रुपए का कालीन निर्यात हुआ था, जबकि वर्ष 2019-20 में 3704.05 करोड़ रुपए का ही निर्यात राज्य का कालीन उद्योग कर सका था। वहीं अप्रैल 2021 से अक्टूबर 2021 तक 3054.97 करोड़ रुपए का कालीन राज्य से निर्यात हुआ। प्रदेश होने वाले कुल कालीन का निर्यात 95 फीसदी भदोही और उसके आसपास के जिलों से होता है।

     अर्थव्यवस्था में कालीन उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका 

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी, भदोही और मिर्जापुर जिले की अर्थव्यवस्था में कालीन उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। करीब डेढ़ हजार से अधिक रजिस्टर्ड कंपनियां इन तीन जिलों में कालीन बनाने और एक्सपोर्ट करने के काम में लगी हुई हैं। इससे अकेले भदोही और वाराणसी क्षेत्र के दो लाख से ज्यादा कारीगरों और उनके लगभग 10 लाख परिवारों की जिंदगी जुड़ी हुई हैं। भदोही की पर्शियन कार्पेट पाकिस्तान, ईरान और तुर्की में बनी कार्पेट से अधिक पसंद की जाती है। यहां का बना कालीन देश में मुंबई, दिल्ली, गुजरात, गोवा, तमिलनाडू, राजस्थान समेत देश के कई शहरों और अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, जापान सहित कई अन्य देशों में जाता है।

    योगी सरकार ने भदोही में कार्पेट एक्सपो मार्ट खोला

    गौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश की योगी सरकार ने भदोही में कार्पेट एक्सपो मार्ट खोला है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, भदोही में बना यह कार्पेट मार्ट देश का सबसे बड़ा कार्पेट मार्ट है। भदोही में एक ही छत के नीचे लोगों को विश्व की सबसे महंगी पर्शियन कार्पेट से लेकर हस्तनिर्मित रंग-बिरंगी कालीन आसानी से मिल रही है। इस कार्पेट मार्ट के खुलने से पर्शियन कार्पेट की बिक्री में इजाफा हुआ है।