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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपनी दूसरी पारी के पहले 100 दिनों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत तय लक्ष्य का डेढ़ गुना पंजीकरण किया है। प्रदेश सरकार ने 100 दिनों के भीतर 35,000 नए व्यापारियों का जीएसटी के तहत पंजीकरण करने का लक्ष्य रखा था। इसके सापेक्ष प्रदेश में 63,032 नए व्यापारियों का जीएसटी पंजीकरण (GST Registration) किया गया है।  राजस्व विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जीएसटी रिटर्न के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले पायदान पर है। प्रदेश में मार्च 2021 तक देय रिटर्न 95 फीसदी कारोबारियों ने दाखिल किया है। 

    राजस्व विभाग के आंकड़े के मुताबिक, वर्ष 2017-2018 में उत्तर प्रदेश के खजाने में 58,738 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था, जो 2021-2022 में बढ़कर 98,107 करोड़ रुपए हो गया है। यह वृद्धि 39,369 करोड़ रुपए यानी 67 फीसदी अधिक है। अधिकारियों का कहना है कि यह उपलब्धि तब हासिल हुई है, जब सरकार ने बिना कोई टैक्स बढ़ाए आम जनता को राहत देते हुए पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट में भी कटौती की है।

     यूपी में रजिस्टर्ड व्यापारियों की संख्या 18.15 लाख 

    विभागीय अधिकारियों ने बताया कि राजस्व विभाग ने नवम्बर 2021 से जनवरी 2022 तक व्यापक स्तर पर जीएसटी पंजीयन जागरुकता अभियान चलाया। इसके तहत 8,439 कैम्प, 8,672 गोष्ठी, 721 मेगा सेमीनार और 5,946 होर्डिंग लगाए गए। अभियान में 54,682 नए रजिस्ट्रेशन कराए गए। वर्ष 2021-22 में नए रजिस्ट्रेशन की तादाद 2,99,480 रही। वहीं वर्ष 2022-23 में 1 अप्रैल से 22 जुलाई तक 98,032 नए रजिस्ट्रेशन हुए। अब प्रदेश में जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यापारियों की संख्या 18.15 लाख है।

     बकाया वसूली योजना में 14 हजार से अधिक कारोबारियों ने लाभ लिया 

    कर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, ब्याज माफी बकाया वसूली योजना में इस साल 14 हजार से अधिक कारोबारियों ने लाभ लिया है और सरकार को 115.16 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। वहीं, तीन फरवरी से दो सितंबर 2021 तक इस योजना में 14,575 व्यापारियों को लाभ मिला और 130.28 करोड़ रुपए की धनराशि सरकारी खजाने में जमा हुई। इस तरह दो सालों में 245.44 करोड़ रुपए की धनराशि सरकार को राजस्व के तौर पर प्राप्त हुई है। योगी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-2022 में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की राजस्व वृद्धि दर्ज की है और प्रदेश सरकार वित्त वर्ष 2022-23 में इससे ज्यादा गरीब कल्याण के लिए अपने खजाने से खर्च कर रही है। 

    नई योजना के लिए 7 हजार करोड़ से अधिक की धनराशि प्रस्तावित

    सरकार ने अपने पहले ही फैसले में गरीबों को नि:शुल्क राशन देने के लिए 32 सौ करोड़ रुपए प्रस्तावित किए थे। गरीबों को साल में दो नि:शुल्क रसोई गैस सिलेंडर के अलावा वृद्धावस्था, निराश्रित और दिव्यांगजन पेंशन पर 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि खर्च कर रही है। संकल्प पत्र की 97 घोषणाओं के लिए 54 हजार 883 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि भी खर्च की जा रही है, जिसमें नई योजना के लिए सात हजार करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि प्रस्तावित है।