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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जमीन (Land) लेकर उद्योग न लगाने वालों के आवंटन निरस्त किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों में बड़ी तादाद में इस तरह की जमीन चिन्हित की गयी जिनका आवंटन औद्योगिक ईकाई लगाने के नाम पर करवाया गया और लंबे समय से खाली पड़ी (Vacant Land) है। प्रदेश सरकार अब इन जमीनों का आवंटन निरस्त कर उन्हें नए सिरे से उद्योग (Industries) लगाने वालों को दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने बंद मिलों की खाली पड़ी जमीनों को भी उद्योगों के लिए आवंटित करने का फैसला किया है।

    औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने लंबे समय से बंद पड़ी और विभिन्न कानूनी पचड़ों में फंसी कपड़ा मिलों को मुक्त करा कर इन्हें नए सिरे से उद्यिमयों को आवंटित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि बंद पड़ी कपड़ा मिलों की जमीन मुक्त करवा कर उद्यमियों को दी जाएगी और यहां नए उद्योग लगाने के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता भी ली जाएगी।

    नीति तैयार की गयी 

    आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहरों की खाली जमीन के उपयोग, लीज रेंट की जमीनों के फ्री होल्ड और निरस्त हो चुके भूखंडों के पुनर्आवंटन के लिए एक नीति तैयार की गयी है। उक्त नीति के ड्राफ्ट पर इस साल जनवरी तक आपत्तियां भी मांगी गयी थी। अब नीति पूरी तरह से बना ली गयी है। जल्दी ही इस नीति को मंत्रिपरिषद की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने दशकों पहले बड़े शहरों मे लीज रेंट के आधार पर उद्योग के लिए जमीन का आवंटन करवा कर उन पर कोई काम न करने वाले उद्यमियों पर भी कार्रवाई करने की योजना बनायी है। इन जमीनों को वापस लेकर जरुरत के आधार पर सुविधाएं विकसित की जाएंगी। साथ ही जो भी आवंटी निर्धारित कीमत देकर इन जमीनों का फ्रीहोल्ड कराना चाहेंगे उन्हें इसकी सुविधा दी जाएगी।

    उद्योगों के लिए दी गयी काफी जमीन खाली पड़ी 

    अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश की राजधानी लखनऊ, गाजियाबाद, प्रयागराज, कानपुर और आगरा में उद्योगों के लिए दी गयी काफी जमीन खाली पड़ी है। अकेले लखनऊ में ही इस तरह के 3434 भूखंड है जिनका कुल क्षेत्रफल 834902 वर्गमीटर है। इसी तरह कानपुर में 2789935 वर्गमीटर के 233 भूखंड, गाजियाबाद में 1355119 वर्गमीटर के 4735 भूखंड और प्रयागराज में 60183 वर्गमीटर के 133 भूखंड हैं। इनकी या तो आवंटन अवधि समाप्त हो चुकी है या कोई विधिक वारिस नहीं बचा है। इस तरह की जमीनें वापस लेकर विकास प्राधिकरण को सौंपी जाएगी। विकास प्राधिकरणों के गठन से पूर्व शहरों में बने इंप्रूवमेंट ट्रस्ट से आवंटित जमीनों को फ्रीहोल्ड कराने की भी सुविधा दी जाएगी। इससे प्राधिकरणों की आमदनी बढ़ेगी।