Yogi Adityanath

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    राजेश मिश्र

    लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi Government) ने अगले तीन सालों में तीन लाख करोड़ रुपए के सामानों के निर्यात (Export) का लक्ष्य रखा है। देश के कुल निर्यात में 4.5 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार अब इसे बढ़ाने के लिए कई सहूलियतें (Facilities) देगी। निर्यात बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश की सबसे ज्यादा मांग वाले हस्तशिल्प, कालीन और चमड़े के सामानों पर खास ध्यान देने की योजना बनायी है। 

    देश से होने वाले कुल निर्यात में उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्प की 45 फीसदी, कालीन 39 तो चमड़े के सामानों की 26 फीसदी हिस्सेदारी है। अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया कि सरकार की नीतियों (Policies) के चलते कोविड के दौरान भी प्रदेश से निर्यात होता रहा है। प्रदेश से निर्यात किए जाने वाले 18 जिले के 28 उत्पादों को जीआई टैग (GI Tag) मिला है। 

    ट्रेड फेयर का आयोजन

    उन्होंने कहा कि निर्यातकों को बाजार दिलाने के लिए सरकार ट्रेड फेयर का आयोजन कर रही है। इसके तहत 15 मार्च से 19 मार्च तक आयोजित ग्लोबल शो में कालीन, दरी, चर्म उत्पाद और जूते-चप्पल जबकि 22 मार्च से 26 मार्च तक आयोजित शो में घरेलू एवं सौन्दर्य प्रसाधन से जुड़े उत्पादों का प्रदर्शन किया जायेगा। प्रत्येक ट्रेड फेयर में 100 से अधिक निर्यातक भाग लेंगे। अनेक जनपदों से विभिन्न उत्पादों का निर्यात किया जाता रहा है। इनमें मिर्जापुर की कालीन, फिरोजाबाद के शीशे के सामान, गोरखपुर के टेराकोटा के सामान, खुर्जा की पॉटरी, आगरा और कानपुर के चर्म उत्पाद, गाजियाबाद तथा नोएडा के रेडीमेड गारमेंट्स जैसे उत्पाद शामिल हैं।

    निर्यात में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 4.55 फीसदी

    उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, निवेश तथा निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के मुताबिक, भारत के कुल निर्यात में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 4.55 फीसदी की है। उन्होंने बताया कि बीते तीन सालों में 38 फीसदी की बढ़त के साथ प्रदेश से होने वाला निर्यात 84000 करोड़ रुपए बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपए हुआ है। अब आने वाले तीन सालों में योगी सरकार ने प्रदेश से निर्यात बढ़ाकर तीन लाख करोड़ रुपए करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि राज्य से होने वाले निर्यात में इंजीनियरिंग तथा खेलकूद सामग्री, रक्षा उपकरणों, कृषि प्रसंस्कृत उत्पादों को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी। राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई निर्यात प्रोत्साहन पालिसी  के तहत प्रदेश से होने वाले निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई प्रभावी  हस्ताक्षेपों तथा वित्तीय प्रोत्साहनों की व्यवस्था की गई है। निर्यात प्रक्रियाओं को आसान किया गया है।

    दो लाख रुपए तक अनुदान दिया जा रहा है

    निर्यात प्रोत्साहन मंत्री ने बताया कि निर्यातकों को प्रमाणीकरण पर होने वाले कुछ खर्च का 50 फीसदी या अधिकतम दो लाख रुपए तक अनुदान दिया जा रहा है जबकि उत्पादन स्थल से पोर्ट तक भेजे जाने पर आने वाले खर्च की भी भरपायी की जा रही है। इसके साथ ही वायुवान भाड़ा भरपायी योजना में दिए जा रहे अनदान की आर्थिक सीमा को दो लाख रुपए से बढ़ाकर प्रतिवर्ष प्रति इकाई पांच लाख रुपए किया गया है।