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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: खुले बाजार में कम दाम मिलने के चलते इस बार उत्तर प्रदेश में धान ( Paddy) की सरकारी खरीद केंद्रों (Government Procurement Centers) पर किसानों (Farmers) की भीड़ उमड़ रही है। बीते दो सालों के मुकाबले इस बार धान की सरकारी खरीद का नया रिकॉर्ड बना सकती है। धान की सरकारी खरीद की अंतिम समय सीमा से एक महीना से ज्यादा का समय बचा हुआ है। अब तक प्रदेश भर में तय लक्ष्य का करीब 82 फीसदी धान सरकारी खरीद केंद्रों पर आ चुका है। खरीद प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस बार प्रदेश में लक्ष्य से कहीं अधिक धान की खरीद होगी। 

    गुरुवार तक प्रदेश में विभिन्न केंद्रों पर 57.21 लाख टन धान की खरीद की जा चुकी थी। बीते साल इसी अधि तक 52.51 लाख टन धान की खरीद की गयी थी। इस बार योगी सरकार ने धान खरीद का लक्ष्य 70 लाख टन निर्धारित किया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 9,19,181 किसानों से खरीद कर उन्हें 10,021.85 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। इस बार कुल धान खरीद के एवज में 85 फीसदी भुगतान किया जा चुका हैं। प्रदेश में खाद्य एवं रसद विभाग सहित विभिन्न क्रय एजेंसियों नें 4,431 खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। 

    सरकारी खरीद केंद्रों पर दाम ज्यादा

    किसानों के सरकारी खरीद केंद्रों पर बड़ी तादाद में रुख करने का एक बड़ा कारण खुले बाजार में कम दाम मिलना रहा है। सरकारी खरीद केंद्रों पर 2,040 रुपए सामान्य किस्म और 2,060 रुपए प्रति कुंतल उन्नत किस्म के धान के लिए मिल रहा है। वहीं खुले बाजार में इसकी कीमत अब तक 1,600 रुपए कुंतल से अधिक नहीं गयी है। किसानों का कहना है कि इस साल सीजन की शुरुआत में अक्टूबर के महीने में तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में 1,200 से 1,400 रुपए कुंतल पर खुले बाजार में खरीद हुई थी। वहीं नमी की कटौती के बाद भी सरकारी खरीद केंद्रों पर दाम ज्यादा मिला है। 

    किसानों ने अधिक बिक्री सरकारी केंद्रों में की

    खुले बाजार में कीमत कम मिलने का एक बार कारण इस बार फसल पकने के समय हुई बारिश और उससे गुणवत्ता पर पड़े असर को बताया जा रहा हैं। आढ़तियों का कहना है कि बाजार में बिक्री के लिए आ रहे धान में शुरु महीने में नमी ज्यादा थी जिसके चलते कीमत कम लगी। हालांकि दिसंबर के आखिरी सप्ताह के खुले बाजार में धान की खरीद के दाम ऊंचे होने लगे थे पर तब तक बड़ी तादाद में किसानों ने सरकारी केंद्रों पर अपनी उपज की बिक्री कर डाली थी।