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मुंबई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जुलाई में भारत का तीसरा चंद्र अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है। इसरो के एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि इसरो इस महीने में अपना पहला सूर्य मिशन शुरू करने की भी कोशिश कर रहा है। इस बीच, आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला वैज्ञानिक मिशन है। इसरो के अधिकारियों ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी जुलाई में चंद्रयान-3 के लॉन्च की दिशा में काम कर रही है। इस पूरे मिशन की खास बात ये है कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में पांच इंजन थे जबकि इस बार चंद्रयान-3 में सिर्फ चार ही इंजन लगाए गए हैं। चांद के चारों तरफ घूम रहे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के साथ लैंडर रोवर का संपर्क बनाना जाएगा। इससे मिशन को कामयाबी हासिल करने में आसानी होगी।

चंद्रयान-3 का भार भी काफी कम 

चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के चारों कोनों पर एक-एक इंजन लगाया गया था जबकि बीच में एक बड़ा इंजन लगाया गया था जबकि चंद्रयान-3 से बीच में लगा बड़ा इंजन हटा लिया गया है। इससे चंद्रयान-3 का भार भी काफी कम हो गया है। यही नहीं चंद्रयान-2 को धूल से बचाने के लिए इस इंजन को लगाया गया था लेकिन नए मिशन में इसे पूरी तरह से हटा लिया गया है। चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो ने इसमें कई तरह के बदलाव किए हैं। बीच का इंजन हटाने से न केवल लैंडर का वजन कम हुआ है बल्कि कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह लैंडर चांद की सतह पर सॉफ लैंडिंग कर सके इसके लिए लैंडर के पैर में भी बदलाव किया जा रहा है। इसके अलावा लैंडर में लैंडर डॉप्लर वेलोसीमीटर (LDV) भी लगाया गया है, ताकि लैंडिंग के समय लैंडर की गति की सटीक जानकारी हासिल की जा सके।

चंद्रयान-2 के दौरान हुई थी ये घटना 

2019 में चंद्रयान-2 ने पृथ्वी से चंद्रमा के लिए सफलतापूर्वक उड़ान भरी थी। यहां तक ​​कि वह चांद की कक्षा में भी पहुंच गया था। लेकिन, इसके लैंडर सॉफ्टवेयर में तकनीकी खराबी आ गई और 6 सितंबर, 2019 को यह चंद्रमा पर उतरने का प्रयास करते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गया। चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल, एक रोवर शामिल है। इसरो ने कहा कि लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर परिनियोजन में सक्षम होगा। इस बीच चंद्रयान-3 मिशन पर 9 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे।