Breaking relationship between husband and wife will be avoided here
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  • ठाणे जिला न्यायालय शुरू हुआ 'चलो बोलें उपक्रम'

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ठाणे. राज्य विधि व सेवा प्राधिकरण, ठाणे जिला न्यायालय (Thane District Court) और ठाणे फैमिली कोर्ट (Thane Family Court) के संयुक्त तत्वावधान में यहां एक ऐसे न्यायिक उपक्रम की शुरुआत की गई है जहां पति-पत्नी (Husband wife) के बीच के विवाद (Dispute) को समाप्त करने की कोशिश की जाएगी. यानी ऐसा कोर्ट जहां टूटते रिश्तों को फिर से हराभरा बनाने की कोशिश नि:शुल्क होगी.

इस उपक्रम के तहत तलाक लेने वाले दंपति के बीच समझौता कराने के उद्देश्य से कुटुंब न्यायालय में ‘चलो बोलें उपक्रम’ का उद्घाटन बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के न्यायाधीश व राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष ए.ए. सईद (A.A. Sayed) के हाथों किया गया है। ठाणे फैमिली कोर्ट की इमारत के चौथे मंजिल पर शनिवार से शुरू किए गए इस उपक्रम के उद्घाटन समारोह में न्यायाधीश साधना जाधव, न्यायधीश रेवती मोहिते-डेरे, राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव अभय मंत्री प्रमुख अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।

इसके साथ ही विशेष रूप से ठाणे पुलिस आयुञ्चत विवेक फनसलकर के साथ ठाणे जिला सत्र न्यायाधीश आरएम जोशी, कुटुंब न्यायालय की न्यायाधीश अ रुणा फरस्वानी,  मुंबई उच्च न्यायालय के उपनिबंधक अजित यादव, राज्य विधी व सेवा प्राधिकरण के उपसचिव एमएस तोडकर, अपर सचिव महेंद्र शितोले, वुमन सेल की पुलिस उपनिरीक्षक पुनम चव्हाण, समुपदेशक अपर्णा जोशी, विशाखा जोशी, सारिका जोशी, मृण्मयी अग्निहोत्री ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की। उद्घाटन समारोह के बाद कहा गया कि दंपति के बीच की लड़ाई चार दीवारों से बाहर नहीं जानी चाहिए।

हालांकि तेजी से हो रहे बदलाव के चलते अब दंपति के बीच का विवाद कोर्ट के मुहाने पर आकर खड़ा होने लगा है। आपसी विवाद के चलते अब दंपति तलाक लेने के लिए कोर्ट में पहुंच रहे हैं, जो हमारे समाज के लिए चिंता का विषय है। दूसरी तरफ कोर्ट में तलाक का मामला आने के बाद दंपति का पैसे के साथ समय बर्बाद होता ही है, साथ ही दिनचर्या में भी फेरबदल होता है। इन सभी समस्याओं के साथ दंपति को अलग होने से बचाने के लिए इस उपक्रम को शुरू किया गया है।

इस दौरान दावा किया गया कि उपक्रम से तलाक के मामलों की संख्य कम होगी। साथ ही वैवाहिक जीवन में पैदा होने वाले तनाव से भी मुक्ति दिलाने का प्रयास उपक्रम के माध्यम से किया जाएगा। इस दौरान कहा गया कि राज्य में पुणे, औरंगाबाद, नाशिक जिलों में शुरू किए गए समुपदेशन केंद्रों को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। समुपदेशन केंद्रों के चलते पति-पत्नी के संबंधों में होने वाले संघर्ष को कम किया जा सकेगा। इस केंद्र को सोमवार, बुधवार और शुक्रवार दोपहर दो से पांच बजे के बीच शुरू रखा जाएगा। साथ ही यहां आने वाले दंपतियों को निशु:ल्क मार्गदर्शन दिया जाएगा।