विकास दूबे एनकाउंटर के बाद सियासी गर्मी का केंद्र बने ब्राह्मण, भाजपा हाईकमान ने विधायकों से मांगा जवाब

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विकास दूबे एनकाउंटर के बाद ब्राह्मण सियासत काफी गर्म हो गई है. सत्तादल से लेकर विपक्ष सभी अब ब्राह्मणों के हिमायती बने नज़र आ रहे हैं. योगी सरकार में तमाम महत्वपूर्ण पद ब्राह्मणों के पास हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि फिर भी विकास दूबे एनकाउंटर से उपजे ब्राह्मणों के आक्रोश को रोक पाने में ये नाकाम क्यों हैं? सवाल यह भी किया जा रहा है कि क्या ये सब सत्ताशीर्ष के आगे बेबस हैं? वैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुर्सी संभालते ही ब्राह्मण विधायकों की नाराजगी की भी खबरें खूब चर्चा में रहीं हैं.  

योगी सरकार में पूर्वांचल के शेर कहे जाने वाले ब्राह्मण बाहुबली हरिशंकर तिवारी के घर पुलिस भेजने से विकास दूबे के एनकाउंटर तक हुई कई घटनाओं पर ख़ूब सियासत हो रही है. कहा जा रहा है इसी कारण यहां का ब्राह्मण समाज नाराज़ है.

सियासत के जानकारों का कहना है कि या तो अंदर से इस मसले पर इन सबकी मौन स्वीकृति रही है या फिर चल रहे इस विरोध से अपने कमियों के चलते डर रहे हैं या सत्ताशीर्ष के आगे बेबस हाथ जोड़े खड़े हैं. सरकार में लगातार हो रही उपेक्षा के कारण घुटन महसूस कर रहे ब्राह्मण समाज का गुस्सा विकास दूबे एनकाउंटर के बाद फूट पड़ा है.

जानकारों के मुताबिक़, यूपी की राजनीती में लम्बे समय तक कांग्रेस के साथ रहने वाले ब्राह्मण समुदाय ने जब से कांग्रेस का साथ छोड़ा, तब से कांग्रेस कमजोर होने लगी. इसके बाद से इस समुदाय का मतदाता किसी एक पार्टी के साथ लम्बे समय तक नहीं टिका. चुनाव दर चुनाव उसने अपने इस रुख को बनाये रखा. जहां सत्ता उसके करीब रहे.

मंदिर आंदोलन के समय भाजपा का साथ देने के बाद जब इस समुदाय ने बसपा का रुख किया तो पहली बार मायावती को पूर्ण बहुमत मिला. इसके बाद ये वर्ग बसपा छोड़ जब सपा में आया तो वह सत्ता में आ गई. फिर वर्ष 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उसमें भी ब्राह्मणों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. शायद इससे चिंतित भाजपा हाईकमान ने अपने 55 विधायकों से फीडबैक भी माँगा है. अब देखना यह होगा कि सरकार और पार्टी क्या इस नाराजगी को दूर पाएगी या नहीं.

– अल्ताफ शेख