सुल्तानपुर. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चुनाव (Elections) से पहले दो घटनाओं ने भाजपा (BJP) के लिए सियासी दृष्टि से खतरे की घण्टी बजा दी है। पश्चिमी यूपी में जहां कृषि कानून के विरोध में भाजपा विधायक की गाड़ी पर स्याही फेंक दी गयी थी और शीशे तोड़ दिए गए थे वहीं रविवार को पूर्वी यूपी के सुल्तानपुर (Sultanpur) की बल्दीराय तहसील के एक गांव के चौपाल के कार्यक्रम में नाराज लोगों ने आवारा पशुओं को दौड़ा दिया।
विधानसभा चुनाव में चंद महीने बचे हैं और सियासी दल अपने अपने तरीकों से जनता के बीच पहुंच रहे हैं। बीजेपी भी स्थानीय नेताओं को चौपाल के माध्यम से जनता के बीच सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाने के लिए तत्पर है।इसी क्रम में भाजपा के स्थानीय नेताओं ने सुल्तानपुर जिले की बल्दीराय तहसील के गोविंदपुर में चौपाल ग्राम प्रधान के माध्यम से बुलाई गई थी। लेकिन आवारा जानवरों से परेशान ग्रामीणों ने भारतीय जनता पार्टी के चौपाल में आवारा पशु छोड़ दिया जिससे भगदड़ मच गयी। हालांकि भगदड़ में किसी भी दुर्घटना की जानकारी नहीं मिली है।
सरकार द्वारा आवारा पशुओं की रोकथाम पर प्रभावी अंकुश नहीं लगने से ग्रामीणों में व्याप्त था। जिसके बाद भाजपा नेता की सूचना पर पहुंची बल्दीराय पुलिस ने पूछताछ के लिए 2 लोगों को पकड़ा। खबरों के मुताबिक इस सम्बंध में थानाध्यक्ष प्रभाकांत तिवारी बोले, बवाल होने की सूचना पर गयी थी। पुलिस फिलहाल मौके पर शांति व्यवस्था कायम है।
पुलिस भी बुलानी पड़ी
इस घटना के संबंध में भाजपा के प्रदेश सह संयोजक सहकारिता प्रकोष्ठ रामचंद्र मिश्र का कहना है कि रोड पर चल रहे कार्यक्रम में अचानक से जानवर आ गए थे बाकी ग्रामीणों द्वारा कुछ ऐसा नहीं किया गया है। जबकि स्थानीय लोगों और पत्रकारों का कहना है कि यह सब गोवंशों से नष्ट हो रही फसलों के आक्रोश के चलते हुआ है, जिसके चलते पुलिस भी बुलानी पड़ी।
प्रशासन की जमीनी कार्य प्रणाली की कलाई खुलती है
हालांकि चौपाल कार्यक्रम की जारी विज्ञप्ति में इस घटना का कोई जिक्र नहीं किया गया है। विज्ञप्ति के अनुसार सुल्तानपुर इसौली विधानसभा भाजपा मंडल बल्दीराय के ग्रामसभा गोविंदपुर मे ग्राम चौपाल का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें मुख्य अतिथि भाजपा के प्रदेश सह संयोजक सहकारिता प्रकोष्ठ के रामचन्द्र मिश्र रहे। ऐसे में योगी सरकार द्वारा गोवंशों को रखने के लिए बनायी गयी गौशाला की हकीकत दिखती है। और प्रशासन की जमीनी कार्य प्रणाली की कलाई खुलती है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि गौशाला की जगह पानी भरा हुआ है और कोई व्यवस्था नहीं है।