Hearing in Mathura's Shahi Idgah Mosque case will be held on April 1
शाही ईदगाह मस्जिद (File Photo)

Loading

मथुरा. श्रीकृष्ण जन्मस्थान (Shri Krishna Birth Place) परिसर के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Mosque Eidgah) (को वहां से हटाने के लिए यहां अदालत में एक याचिका दायर की गयी है। लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री सहित आधा दर्जन लोगों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंध समिति के मध्य पांच दशक पूर्व हुए समझौते को अवैध बताते हुए उसे निरस्त कर मस्जिद की पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट को सौंपने का अनुरोध किया है।

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने शुक्रवार को मथुरा की एक अदालत में दाखिल की गई याचिका में कहा है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है तथा उसे निरस्त किया जाए।

दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) छाया शर्मा की अदालत में शुक्रवार को लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री व त्रिपुरारी त्रिपाठी, सिद्धार्थ नगर के राजेश मणि त्रिपाठी एवं दिल्ली निवासी प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला व शिवाजी सिंह की ओर से दाखिल किए गए वाद में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताया है।

याचिका में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) व शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी।

वादियों के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने “पीटीआई-भाषा” को फोन पर हुई बातचीत में बताया, “जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। ऐसे में सेवा संघ द्वारा किया गया समझौता गलत है। इसलिए उक्त समझौते को निरस्त करते हुए मस्जिद को हटाकर मंदिर की जमीन उसे वापस करने की मांग की गई है।”

इस मामले में वादियों द्वारा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ़ बोर्ड व शाही ईदगाह ट्रस्ट प्रबंध समिति को भी प्रतिवादी बनाया गया है। इस संबंध में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट एवं श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने संस्थान पर लगाए गए निष्क्रियता के आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए कहा, “संस्थान मंदिर के कुशल प्रबंधन के साथ-साथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित किए जा रहे विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से जनपद एवं जीव सेवा के कार्य पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ संचालित किए जाने की जानकारी दी है।

दायर किए गए वाद के संबंध में किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से परहेज करते हुए उन्होंने ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों व कानूनवेत्ताओं से परामर्श किए जाने के बाद उचित कार्रवाई किए जाने की बात कही है। शाही ईदगाह ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. ज़हीर हसन से काफी प्रयास किए जाने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। (एजेंसी)