Photo Credit- Google
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    मुंबई: राष्ट्रीय और अंतर्राष्टीय पहलवानो को पराजित करने वाले गामा पहलवान को कौन नहीं जानता है। आपने भी इनका नाम तो जरूर सुना ही होगा। गामा पहलवान वो नाम है जो किसी के ताकत का अंदाजा लगाने के लिए लिया जाता था। गामा पहलवान का आज 144 वां जन्मदिन हैं। इस मौके पर गूगल के डूडल में गामा पहलवान नज़र आ रहें हैं।  गामा अपने पहलवानी की वजह से जितने ही मशहूर थे। उनका बचपन उतना ही कठिन रहा है। ये महज 6 साल के थे जब इनके पिता का देहांत हो गया। जिसके बाद उन्होंने अपना जीवन अपने चाचा के साथ बिताया। 

    दरसअल गामा का जन्म 22 मई 1878 को पंजाब प्रांत के जब्बोवाल गांव में हुआ था। गामा पहलवान को बचपन से ही कुस्ती में रूचि थी। उन्होंने महज 10 साल की उम्र में अपने जीवन की पहली कुस्ती प्रतियोगिता में दांव-पेंच आजमाना शुरू किया। इस प्रतियोगिता में करीब 400 लोगों ने भाग लिया । जिनके बीच गामा ने अपना शीर्ष स्थान बनाया, इस प्रतियोगिता के बाद कुस्ती में उनकी दिलचस्पी अत्यधिक बढ़ गई और उन्होंने अपनी ट्रेनिंग की शुरुवात की।

    गौरतलब हो कि गामा पहलवान अपने 5 दशक लंबे पहलवानी के करियर में कभी हारे नहीं। उन्होंने कई बड़े-बड़े दिग्गजों को अखाड़े में ऐसी पटखनी दी। जिनमें  मार्शल आर्ट के मास्टर ब्रूस ली भी गामा पहलवान के मुरीद थे। गामा पहलवान ने अपने 50 साल से अधिक के करियर में एक बार भी हार का मुंह नहीं देखा। उन्होंने 1910 वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप और 1927 वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप भी जीता था। गामा पहलवान रुस्तम-ए-हिंद से भी नवाजा गया था।