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नवभारत डिजिटल डेस्क: पूरी दुनिया में कई ऐसी जगह हैं जो अपने आप में बेहद रहस्यमयी मानी जाती हैं। कहीं के भूतिया किस्से तो कहीं पर हिम-मानव के दिखाई देने की बात कही जाती है। लेकिन भारत के इस गांव में जो होता है, वैसा आपने कभी सुना भी नहीं होगा। भारत का यह राज्य इसलिए चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यहां पर पक्षी आत्महत्या कर लेते हैं। पक्षियों के आत्महत्या करने की बात सुनने में भले ही अटपटी लगे, लेकिन ये सच है। असम के जतिंगा (Jatinga) नामक रहस्यमयी गांव (Village) को पक्षियों की आत्महत्या (Mass Bird Suicide) के कारण मौत की घाटी (Valley of Death) के रूप में जाना जाता है। आखिर यहां के पक्षी ऐसा क्यों करते हैं, चलिए जानते हैं इस रहस्यमयी गांव के बारे में…   

क्या है असम जतिंगा गांव का रहस्य (What is the mystery of Jatinga village) 
असम के गुवाहाटी से तकरीबन 330 किलोमीटर दक्षिण में बोरेल पहाड़ियों के बीच जतिंगा नामक गांव स्थित है। इस गांव की चर्चा सितंबर महीने में होने लगती है। दरअसल इस गांव में सितंबर के महीने में पक्षी आत्महत्या करते हैं। पक्षियों के आत्महत्या की खबरें तेजी से सामने आने लगती हैं। जिसे देखने और समझने के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इसके पीछे की वजह जानने के लिए देश और विदेश से साइंटिस्ट भी आते हैं और इस बात का पता लगाने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस आत्महत्या के पीछे की वजह क्या है।
 

पड़ोस के गांव में नहीं होती ऐसी घटना 

आपको जानकार हैरानी होगी कि जतिंगा नामक इस गांव में आत्महत्या करने वाले पक्षियों की संख्या एक और दो में नहीं होती है। बल्कि इनकी संख्या सैकड़ों में होती है। वहीं आत्महत्या करने वाले पक्षियों में देशी नहीं बल्कि विदेशी पक्षी भी शामिल होते हैं। आत्महत्या का यह सिलसिला सिर्फ जतिंगा गांव में होता है, इससे कुछ किलोमीटर दूर कई गांव हैं लेकिन वहां पर इस तरह की घटना नहीं होती है। जो अपने आप में हैरान कर देने वाली बात है।
 
साल 1910 से जारी आत्महत्या का सिलसिला  
रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में पक्षियों के आत्महत्या करने का सिलसिला साल 1910 से शुरू हुआ है। लेकिन बाहरी दुनिया को इसकी जानकारी साल 1957 के बाद हुई। इस तरह की रहस्यमयी घटना का जिक्र खुद पक्षियों के जाने-माने साइंटिस्ट E.P. Gee ने अपनी किताब ‘द वाइल्डलाइफ ऑफ इंडिया’ में किया है। लगातार चर्चा में रहने वाले इस गांव जतिंगा में रात के वक्त किसी भी बाहरी शख्स को आने की अनुमति नहीं है।      

बुरी आत्माओं का साया
स्थानीय गांव वालों का मानना है कि इस घटना के पीछे बुरी आत्माओं का साया है। पक्षियों के आत्महत्या करने की घटना शाम 7 बजे से शुरू होती है और ये रात 10 बजे तक चलती है। इस दौरान कई पक्षी असामन से नीचे गिरकर मर जाते हैं, तो कुछ गांव में लगे लकड़ी के खंबो से या फिर वहां लटकाए गए लालटेन से टकरा के मर जाते हैं। इन आत्महत्या की घटनाओं पर लोगों के अलग-अलग तर्क हैं। कोई इसे चुंबकीय शक्ति मानता है तो कोई यहां के प्राकृतिक कारणों को इसकी वजह मानता है। लेकिन आज भी इस जतिंगा गांव में होने वाली इन रहस्यमयी घटनाओं का सही कारण एक सवाल बना हुआ है।