crop tuar and chana
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  • स्वास्थ्य पर हो रहा असर

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वर्धा. फिर एक बार मौसम ने करवट बदलने से इसका असर स्वास्थ्य पर हो रहा है. सर्दी, खासी, बुखार के मरिजों में वृध्दी देखी जा रही. वहीं दूसरी ओर यह मौसम इल्लियो के लिए पोषक होने से चना, तुअर व सब्जी फसल संकट में आ गई है. पहले ही किसान आर्थिक तंगहाली में है. ऐसी स्थिति में मौसम की मार उन्हें झेलनी पड रही.

बता दे कि, पुरी दुनिया कोरोना महामारी से लढ रही है. कोरोना के साथ ही इस वर्ष किसानों पर प्राकृतिक आपदा का संकट टूट पडा है. खरीफ मौसम में सोयाबीन व कपास की फसल किसानों के हाथ नहीं लगी. जिले में करीब 90 फिसदी क्षेत्र में सोयाबीन नष्ट हो गया. कपास पर किसानों की उम्मीदे टिकी हुई थी. परंतु बोंड इल्ली, लौटती बारिश ने कपास की उपज घटा दी. इससे किसान आर्थिक रुप से टूट गया. अब किसानों की उम्मीदे चना व तुअर की फसल पर टिकी हुई है.

परंतु मौसम में हो रहे बदलाव के कारण किसानों की चिंता बढ गई है. गत तीन दिनों से बदरिला मौसम होने से चना, तुअर व सब्जीफसल संकट में आ गई है. यह मौसम इल्लियो के लिए पोषक होने से फसलों पर उनका अटॅक अधिक हो सकता है. वहीं दूसरी ओर कपास के बचेकुचे फलों पर भी इल्लिया सक्रिय रुप से अटॅक कर सकती है. इस वर्ष किसानों के हाथ एक भी फसल न लगने से वह पुरी तरह से टूट चुका है. अब किसी भी संकट का सामना करने की ताकद किसानों नहीं है. 

ओलावृष्टि का डर

मौसम विभाग ने कुछ क्षेत्र में बारिश के साथ ही ओलावृष्टि का भी अनुमान जताया है. जिले के किसानों में ओलावृष्टि का डर देखा जा रहा. अगर ऐसा हुआ तो चना, तुअर, कपास, सब्जी तथा फुलो की फसल नष्ट होने की आशंका है. इस संकट के समय में सरकार ने किसानों की ओर ध्यान देकर उन्हें राहत देने की मांग जोर पकड रही है. 

अस्पतालों में बढी भीड

दूसरी ओर बदलते मौसम का असर जनस्वास्थ्य पर भी देखने मिल रहा. पहले ही कोरोना संकट से जनता लढ रही है. अब मौसम ने रंग बदलने से छोटे बच्चे व बुजुर्गों में सर्दी, खासी, बुखार तथा संक्रमन बिमारियों असर कर रही. परिणामवश अस्पतालों में मरिजों की भीड बढ रही है. 

सतर्कता बरते नागरिक – डा. पावडे

बदलते मौसम का स्वास्थ्य पर असर हो रहा है. गत कुछ दिनों से डेंग्यू, डायरिया, सर्दी, खासी, बुखार के मरिज बढे है. जनता अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे. संभवता बाहर का भोजन टाले, मास्क का उपयोग नियमित करें, मच्छरो की पैदास न बढे इस लिए परिसर स्वच्छ रखे. मच्छरदानी का उपयोग करें. छोटे बच्चे व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखे. – डा. सचिन पावडे, बालरोग तज्ञ