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– गजानन गावंडे 

वर्धा. शहर का व्यापार जगत अनेक हिस्सों में बटा है. किंतु कोरोना संक्रमन के कारण व्यापारियों ने साथी हात बटाना की पहल करते हुये एकता की मिसाल प्रस्तुत की है. व्यापारी व सामाजिक संगठनों की पहल के कारण चार दिन का जनता कर्फ्यू अनेक मायनों से सफल रहा.

वर्धा शहर व परिसर में तेजी से कोरोना संक्रमन का फैलाव होने के कारण व्यापरियों ने सामाजिक संगठनों को साथ में लेकर जनता कर्फ्यू की पहल करते हुये 18 से 21 सितंबर तक आयोजन किया. महाविकास आघाडी के नेताओं के विरोध के चलते कर्फ्यू की सफलता पर सवालियां निशान लग गया था. चार दिनों तक व्यापारी बंद नही रखेंगे, ऐसी अवधारणा अनेकों ने की थी. अपितु विविध व्यापारी संगठनों की एकता के कारण विरोधियों को दातों तले ऊंगलिया बचानी पडी. चार दिन के बंद के चलते बाजार की रौनक थम सी गई. इससे संक्रमन के फैलाव पर काफी हद्द तक रोक लग गई है, ऐसी प्रतिक्रिया अनेक चिकित्सक व सरकारी अधिकारियों ने दी. आज सरकार ने कर्फ्यू अथवा लॉकडाऊन पर पाबंदी लगाई है. किंतु स्वास्थ्य सुविधा व अन्य कारणों के कारण संचारबंदी अथवा कर्फ्यू की आवश्यकता होने की बात निरंतर सामने आ रही है.

आम आदमी से लेकर व्यापारी व सरकारी अधिकारी भी कोरोना के चपेट में आ रहे है. गत 15 दिनों में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढा है. अनेक व्यापारी संक्रमित होने के कारण कोरोना का प्रकोप शहर से ग्रामीण क्षेत्र में भी बढ रहा था. इससे संक्रमन की श्रृंखला तोडना आवश्यक होने की बात चिकित्सक से लेकर अनेकों ने की थी. किंतु पहल कौन करेगा, इसी पर गतिरोध था. बावजूद इसके व्यापारियों ने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुये स्वंय के व्यवसाय का नुकसान कर जनता हित में कर्फ्यू की पहल की. व्यापार वर्ग की यह पहल अनेक राजनेताओं के गले नहीं उतरी जिससे उन्होंने विरोध दर्शाया. फिर भी व्यापारी अपने निर्णय पर डटे रहे. इसका नतीजा जनता कर्फ्यू सर्व दृष्टी से सफल रहा. यही एकजुटता व मन में विश्वास रहा तो कोरोना पर हम विजय अवश्य पा सकते है.