मुंबई: चीन प्रशासित हांगकांग से भागकर अमेरिका पहुंची हांगकांगस्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ. ली मेंग ने खुलासा करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस चीन के एक मिलिट्री लैब में बनाया गया था। इससे पहले भी चीन पर ये आरोप लगे हैं कि चीन ने कोरोना के मामले सामने आने के शुरुआती दिनों में बात को छुपाया था। हालांकि चीन ने इस बात को ख़ारिज किया था।
एक इंटरव्यू में डॉ. ली ने दावा किया कि यह वायरस चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की एक सैन्य प्रयोगशाला से आया था। इसको छिपाने के लिए वुहान वेट मार्केट की कहानी बुनी गई थी। कोरोना फैलने को लेकर उन्होंने कोरोना के चीन में फैलने के शुरुआती दौर में रिसर्च किया था जिसमें पता चला था की ये वायरस व्यक्ति-दर-व्यक्ति फ़ैल सकता है । डॉ. लीने यह भी दावा किया कि मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।
डॉ ली ने अपने इंटरव्यू में कहा, “उस समय मैंने अपने बॉस को अपने रिसर्च के बारे में जानकारी दी थी, मैंने स्पष्ट रूप से मूल्यांकन किया था कि वायरस एक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य प्रयोगशाला से आया था। वुहान गीला बाजार सिर्फ एक डीकॉय के रूप में इस्तेमाल किया गया था।”
डॉ. ली ने कहा कि उन्हें चीन में डर था, इसलिए उन्होंने अप्रैल में हांगकांग से अमेरिका भागने का फैसला किया। डॉ. लीने कहा है, उन्हें अब भी डर है की उन्हें गायब करवाया जा सकता है।
हालांकि रिपोर्ट्स हैं कि, हांगकांग विश्वविद्यालय ने पहले इनकार किया कि डॉ ली ने बीमारी के मानव-से-मानव संचरण पर शोध किया, और कहा कि उनके ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन के दावे प्रमुख तथ्यों के साथ नहीं मिलते।