लेबनान की संसद ने बेरूत में आपातकाल लगाने को मंजूरी दी

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बेरूत: लेबनान (Lebanon) की संसद ने बृहस्पतिवार को राजधानी बेरूत (Beirut) में आपातकाल (Emergency) लगाने को मंजूरी दे दी। बेरूत में हुए चार अगस्त को हुए धमाके के बाद संसद (Parliament) की हुई पहली बैठक में जनता के आक्रोश और राजनीतिक अस्थिरता के बीच सेना को विस्तृत शक्ति देने वाले आपातकाल के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई।

बेरूत के बंदरगाह पर चार अगस्त को हुए धमाके में 170 से अधिक लोगों की मौत हुई थी जबकि कम से कम छह हजार लोग घायल हुए हैं और इसके बाद जनता के दबाव की वजह से सरकार को इस्तीफा देना पड़ा है। सरकार ने इस्तीफा देने से पहले बेरूत में आपातकाल की घोषणा की थी जिसके तहत सेना को कर्फ्यू लगाने, लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाने, मीडिया पर सेंसर लगाने, सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने संबंधी मुकदमों को सैन्य न्यायाधिकरण के पास स्थानांतरित करने सहित अपार शक्तियां दी गईं।

इस कदम का अधिकार समूहों और सरकार के आलोचकों ने निंदा की और कहा कि पहले ही कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से सरकार अधिक शक्तियों के साथ काम कर रही थी। कुछ ने सेना द्वारा पिछले हफ्ते प्रदर्शनों पर काबू करने के लिए बड़े पैमाने पर बल के इस्तेमाल को रेखांकित करते हुए आशंका जताई कि और शक्तियों का उपयोग विरोधियों को दबाने में किया जा सकता है। हालांकि, लेबनान के कानून के मुताबिक, सरकार द्वारा घोषित आपातकाल को जारी रखने के लिए संसद की मंजूरी अनिवार्य है।

संसद की बैठक कोविड-19 महामारी की वजह से सामाजिक दूरी के अनुपालन और पूरे राजनीतिक वर्ग के इस्तीफे की मांग को लेकर आक्रोशित लेबनानियों के प्रदर्शन की वजह से नियमित स्थान के बाहर हुई। संसद सत्र की शुरुआत धमाके में मारे गए 170 से अधिक लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मौन रखने के साथ हुई। इसके बाद करीब एक दर्जन सदस्यों द्वारा सदन से पिछले हफ्ते दिए गए इस्तीफे पर चर्चा हुई। इन सदस्यों ने चार अगस्त को हुए धमाके बाद सरकार द्वारा इससे निपटने के तरीके के खिलाफ इस्तीफा दिया था। इस धमाके में छह हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। प्रमुख ईसाई पार्टी ने सत्र का बहिष्कार किया है।

हालांकि, अभी तक स्पष्ट नहीं है कि बेरूत के बंदरगाह में रखे तीन हजार टन अमोनियम नाइट्रेट (Ammonium Nitrate) में धमाके की वजह क्या थी, लेकिन सामने आए दस्तावेजों से पता चलता है कि नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों को धमाके से पहले ही वहां पर भारी मात्रा में विस्फोटक जमा होने की जानकारी थी। इस धमाके के बाद जनता में नाराजगी फैल गई और शीर्ष राजनीतिक नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसकी वजह से सोमवार को सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। इस समय मंत्रिमंडल कार्यवाहक के तौर पर कार्य कर रहा है। अधिकार अधिवक्ता निजर सागीह ने कहा कि लेबनान में आपात लगाने के आठ दिनों के भीतर संसद से इसकी मंजूरी लेनी होती है।

अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि संसद ने तकनीकी रूप से पूर्व में सरकार द्वारा घोषित आपातकाल को 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया है या यह बृहस्पतिवार से लागू हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘वृहद अराजकता की स्थिति है। आपातकाल को न्यायोचित ठहराने का एक ही तर्क है कि राज्य और सुरक्षा एजेंसियों की शक्तियों में बढ़ोतरी की जाए और विपक्ष को नियंत्रित किया जाए। सागीह ने कहा, ‘‘हम सेना का इंतजार पुननिर्माण में सहयोग के लिए कर रहे हैं, न कि ताकत बढ़ाने के लिए।”

उल्लेखनीय है कि फ्रांस के रक्षामंत्री के बृहस्पतिवार को बेरूत आने का कार्यक्रम है। फ्रांस धमाके बाद लेबनान की मदद करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। अमेरिका के राजनीतिक मामलों के अवर मंत्री डेविड हैले भी दो दिवसीय लेबनान यात्रा पर बृहस्पतिवार को पहुंचने वाले हैं। उम्मीद की जा रही है कि हैले लेबनान के लोगों की मदद और पुनर्निेर्माण के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता को दोहराएंगे। (एजेंसी)