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    बाली(इंडोनेशिया). इंडोनेशिया (Indonesia) के बाली प्रांत में आज यानी मंगलवार को वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन (G-20 Meet) की शुरुआत हुई, जिसमें कई वैश्विक नेता शिरकत कर रहे हैं। इस महत्व्पुर्ब सम्मेलन मेंकोरोना वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा होगी। आज इस शिखर सम्मेलन के आधिकारिक तौर पर शुरू होने से पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आयोजन स्थल पर ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। 

    मोदी-बाइडन गाके मिले तो पुतिन हैं गायब 

    इसके साथ ही आज प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इंडोनेशिया के बाली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान आपस में गले मिले और बातचीत की है। वहीं रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन जी-20 की बैठक में नदारद रहेंगे। कयास है कि, यूक्रेन जंग के चलते पुतिन के लिए मास्‍को छोड़ना रणनीतिक लिहाज से फिलहाल संभव नहीं है। गौरतलब ha कि, पुतिन लगातार यूक्रेन पर परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं।

    ये नेता भी होंगे मौजूद 

    जानकारी दें कि, यह शिखर सम्मेलन 15-16 नवंबर को आयोजित हो रहा है। जी20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति विडोडो, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। हालांकि, प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करेंगे या नहीं, फिलहाल यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। 

    क्या PM मोदी की चीन के राष्ट्रपति से होगी मुलाकात 

    लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि, अगर दोनों नेताओं के बीच मुलाकात होती है तो जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद यह उनकी पहली द्विपक्षीय मुलाकात होगी। 

    वहीं ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ अलग से मुलाकात का भी कोई जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन PM मोदी के उनके साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। 

    जी20 का अगला नेतृत्व भारत को

    गौरतलब है कि, बाली सम्मेलन के बाद इस प्रभावशाली संगठन का नेतृत्व इंडोनेशिया से भारत को दे दिया जाएगा। वहीं इस बाबत जानकारों के मुताबिक यह भारत के वैश्विक नेतृत्व और भारतीय विदेश नीति के लिए बेहद अहम अवसर साबित होने वाला है। इसके साथ ही दुनिया को यह संदेश जाएगा कि, भारत वैश्विक परिदृश्य में एक बड़े और मंजे हुए खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।