नयी दिल्ली. आज प्रिंस चार्ल्स (Prince Charles) अपना 73 वां जन्मदिन मना रहे हैं। यूँ तो प्रिंस चार्ल्स को हम उनकी सौम्य छवि और मृदुभाषी वक्ता के तौर पर जानें जाते हैं। लेकिन आज हम आपको उनके जीवन के कुछ अनकहे पहलु से अवगत कराएँगे। जी हाँ इसे जिद कहें या जुनून लेकिन हकीकत यही है कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बेटे प्रिंस चार्ल्स अपनी 50 साल पुरानी कार पेट्रोल, डीजल या गैस की बजाय इंग्लैंड की मशहूर व्हाइट वाइन से चलाना पसंद करते हैं ।
जन्म और जीवन
गौरतलब है कि राजकुमार चार्ल्स महारानी एलिज़ाबेथ II और एडिनबर्ग के ड्यूक, राजकुमार फिलिप के ज्येष्ट पुत्र हैं। साल 1952 से ही वे राष्ट्रमंडल शक्तियों की गद्दी के उत्तराधिकारी रहे हैं। वे कैम्ब्रिज, ट्रिनिटी कॉलेज से कला में स्नातक प्राप्त करने के बाद उन्होंने रॉयल नेवी मे 1971-1976 तक अपनी सेवाओं का निष्टापूर्वक निर्वहन भी किया है। साल 1981 में उन्होंने लेडी डायना स्पेंसर के साथ शादी. उनकी दो संताने हुईं, 1982 में वेल्स के युवराज विलियम और 1984 में युवराज हेनरी। साल 992 में यह हसीन जोड़ी अलग हो गई, जिसके बाद अनेक समाचार पत्रों में उनके संबंधों को लेकर कई बड़े आरोप लगाये गए।
अनोखे लेकिन जिम्मेदार शौक
जी हां जनाब, आपने ठीक सुना प्रिंस चार्ल्स ने अपने 73वें जन्मदिन के मौके पर उनकी शाही कार और शाही ट्रेन के साथ किए प्रयोगों के ऐसे कई राज से आपको रूबरू कराएँगे, जिसे जानकर आप भी हैरान रह और ताज्जुब हुए बिना नहीं रह पाएंगे। दरअसल, प्रिंस चार्ल्स, लग्जरी कारों के जितने बड़े शौकीन हैं, उतने ही अनोखे और अद्भुत पर्यावरण प्रेमी भी हैं।
अपने इसी मकसद के चलते उन्होंने अपनी एस्टन मार्टिन कार में कुछ बड़े और खास बदलाव करवाए थे, जिससे कि वह वाइन से चल सके और कम से कम पर्यावरण में प्रदूषण हो। दरअसल 49 साल पुरानी यह एस्टन मार्टिन कार चार्ल्स को उनके 21वें जन्मदिन पर उनकी मां, महारानी एलिज़ाबेथ ने तोहफे में दी थी। आज वही उनके राजदुलारे प्रिंस चार्ल्स अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं।
बायोफ्यूल टेक्नोलॉजी के प्रेमी
लेकिन सबसे खास बात यह है कि प्रिंस अभी भी अपनी यह प्रिय कार चलाते हैं। हालांक बाद में बायोफ्यूल टेक्नोलॉजी आने के बाद उन्होंने 2008 में एस्टन मार्टिन के इंजीनियरों से इस कार को पूरी तरह से बायोफ्यूल से चलने लायक बनाने को कहा था और उनकी इस फरमाइश को इंजिनियरों ने संभव भी कर दिया था। अब उनकी यह कार पहले से कम प्रदूषण फैलाती है और अब इसकी परफॉर्मेंस भी पहले से बेहतर हो गई है। यह कार 85% वाइन और 15 % पेट्रोल के कॉम्बिनेशन वाले फ्यूल से सरपट दौड़ती है।
दरअसल एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रिंस चार्ल्स ने बताया था कि उन्होंने न सिर्फ अपनी कार, बल्कि राजघराने की शाही ट्रेन को भी ईको-फ्रेंडली बना दिया है। जी हाँ दोस्तों, उनकी शाही ट्रेन को चलाने में खालिस कुकिंग ऑयल इस्तेमाल होता है।
कुकिंग ऑयल से दौड़ती है ब्रिटिश शाही घराने की ट्रेन
जी हाँ प्रिंस चार्ल्स अपनी कार से पहले राजघराने की शाही ट्रेन रॉयल सोवरिन को भी ईको-फ्रेंडली बना चुके हैं। दरअसल, हुआ ये कि विदेशों में एक बार खाना बनाने के बाद उन्हें पता चला कि, बचे हुए तेल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ऐसे में बायोफ्यूल के इस्तेमाल से इस ट्रेन से होने वाला कार्बन उत्सर्जन 20% तक घट जाता है और इस बचे हुए तेल का भी इस्तेमाल हो जाता है। फिर क्या था प्रिंस चार्ल्स ने बायोफ्यूल टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों की मदद से शाही ट्रेन रॉयल सोवरिन कुकिंग ऑयल से चलवा दिया। जिससे उनकी पैसों की बचत के साथ तेलों की खपत भी कम हुई और कार्बन उत्सर्जन 20% तक घट गया।
इस प्रकार ऐसे तमाम प्रयोगों से उन्होंने ये दर्शाया कि वे सिर्फ न एक शाही घराने के जिम्मेदार वंशज हैं बल्कि प्रकृति के साथ उनका अनोखा तारतम्य भी है। ऐसे ही सौम्य और प्रकृति प्रेमी प्रिंस चार्ल्स को उनके 73वें जन्मदिन पर हमारी मुबारकबाद।