International Labor Day History
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस 2024 (डिजाइन फोटो)

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नई दिल्ली: 1 मई का दिन मराठी लोगों के साथ ही पूरी दुनिया के लोगों के लिए बहुत खास है। दरअसल 1 मई को न केवल महाराष्ट्र दिवस मनाया जाता है बल्कि इसी दिन पुरे विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर’ (International Workers Day 2024) दिवस भी मनाया जाता है। मिली जानकारी के ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर’ दिवस को मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 से हुई है। जानते है इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें…

अंतरराष्ट्रीय मजदूर का इतिहास

दरअसल इस दिन अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। आपको बता दें कि साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की अपनी मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया। इसके बाद एक मई 1886 को पूरे अमेरिका में लाखों मजदूरों ने एकजुट होकर इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की। इस हड़ताल में लगभग 11 हजार फैक्ट्रियों के 3 लाख 80 हजार मजदूर शामिल हुए। तब से हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है।

इस दिवस का उद्देश्य

इस दिन का पूरी दुनिया में खास महत्व है। समाज, देश, संस्था और उद्योग में मजदूरों, कामगारों और मेहनतकशों की सबसे अहम भूमिका होती है। किसी भी कंपनी में बड़ी से बड़ी कामयाबी के लिए मजदुर अपना पसीना बहाते है और पूरी मेहनत मालिक को सफलता दिलाते है। इस तरह सफलता पाने के लिए मजदुरों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता। इसलिए कामगारों के हितों में इनके हक़ में यह दिन मनाया जाता है। इस दिन मजदूरों के सम्मान है उन्हें एक दिन छुट्टी दी जाती है।

भारत में इस दिन का इतिहास

भारत में 1 मई का दिवस सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रमाणित कर लिया गया था। दरअसल इसकी शुरुआत भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 देशों में यह दिवस एक मई को मनाया जाता है। इस तरह यह दिन अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के तौर पर प्रमाणित हो चुका है।