सीमा कुमारी
नई दिल्ली: ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ (World No Tobacco Day) हर साल 31 मई को मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को तंबाकू से होने वाले खतरों के बारे में बताना और जागरूक करना है। जिससे वो खुद को इससे बचें ही साथ ही दूसरे लोगों को भी इससे रोकें हम सभी इस बात से तो अवगत हैं कि तंबाकू से सेहत पर बहुत नुकसान होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तंबाकू के सेवन से दुनिया भर में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है।
मानव लागत के अलावा तंबाकू के सेवन से पर्यावरण भी खराब होता है। तंबाकू की खपत उन कारकों में से एक है, जो माना जाता है कि 2030 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सस्टेनेबल डेवलपमेंट एजेंडा को पाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिसका उद्देश्य उस समय तक तंबाकू से संबंधित मौतों को एक तिहाई कम करना है। आइए जानें ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ इतिहास, महत्व और थीम
इतिहास
विश्व में तंबाकू के सेवन से लाखों लोगों की मौत हो रही है। विश्व में तंबाकू (बीड़ी, सिगरेट, गुटखा आदि) के सेवन से मृत्यु को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में दुनियाभर में विश्व तंबाकू निषेद दिवस मनाने की घोषणा की थी। हालांकि, पहली बार यह दिन 7 अप्रैल को मनाया गया था। लेकिन उसके बाद 31 मई 1988 को इसका प्रस्ताव पास हुआ उसके बाद 31 मई को हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाना लगा।
महत्व
‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाने का मुख्य उद्देश्य तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। इतना ही नहीं, इसके साथ-साथ निकोटीन व्यावसाय और तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करना भी है।
क्या है इस बार की थीम ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’
मई 31 को है। इस साल इसका थीम “हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहीं” ( We need food, Not tobacco) तय किया है। पिछले कुछ सालों से वर्ल्ड नो टोबैको डे ने कई विषयों पर फोकस किया है। इनमें तम्बाकू एडवरटाइजिंग, सेकंड हैंड स्मोक, तंबाकू टैक्सेशन,तम्बाकू इंडस्ट्री का हस्तक्षेप, तंबाकू पैकेजिंग और युवा रोकथाम मुख्य हैं।