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  • नाबार्ड का आदेश : ब्याज की राशि पहले की तरह सरकार ही बैकों को देगी

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यवतमाल. बैंक फसल कर्ज के ब्याज की राशि किसानों से वसूल करें बाद में सरकार यह राशि बैंकों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर किसानों के खाते में जमा करने का निर्णय लिया गया था. ऐसे में किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया था. इसके अलावा बैंकों की वसूली पर भी इसका परिणाम होने के आसार थे. राज्य भर में इसका विरोध होने के बाद आखिर यह फैसला नाबार्ड ने शुक्रवार को वापस ले लिया. इसके चलते अब पहले की तरह ब्याज की राशि सरकार ही बैंक में जमा करेगी.

बताया जा रहा है कि राज्य में लाखों किसान जिला सहकारी, ग्रामीण और राष्ट्रीयकृत बैंकों से खरीफ एवं रबी मौसम में फसल कर्ज लेते हैं. डा. पंजाबराव देशमुख ब्याज सहूलियत योजना के तहत किसानों को एक लाख रुपए तक शून्य फीसदी ब्याज तथा तीन लाख तक दो फीसदी ब्याज से फसल कर्ज दिया जाता है. ब्याज की इस राशि के फर्क की राशि सरकार पिछले कई वर्ष से बैंकों में भर रही है, लेकिन खरीफ के इस मौसम से सरकार ने ‘डीबीटी’ प्रणाली से ब्याज की राशि सीधे किसानों के खाते में जमा करने का निर्णय लिया. 

कर्ज भरने का इंतजाम नहीं, ब्याज कैसे भरेंगे?

पहले ही कर्ज का बोझ, उसमें भी खेत में फसल की कमी ऐसे में किसान आर्थिक तंगी में आ गए हैं. उसमें भी अब उसे अपने पास के पैसों से ब्याज भी भरना पड़ने से किसानों के समक्ष बड़ी दिक्कत निर्माण हुई थी. कपास, सोयाबीन की फसल किसानों के हाथ से चली जाने से बैंक से लिया फसल कर्ज ही भरने की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी तो ब्याज की राशि कहां से भरे यह समस्या किसानो को सता रही थी. 

वसूली पर भी विपरीत परिणाम

यह निर्णय बैंकों के लिए भी सिरदर्द साबित हो रहा था. जहां कर्ज की राशि ही वसूल नहीं हो रही, वहां ब्याज कैसे वसूल करेंगे, यह समस्या थी. इस नए आदेश से बैंकों की वसूली पर परिणाम होकर बकाया राशि और बढ़ने की स्थिति थी. राज्य भर से यह ब्याज वसूली नए पैटर्न पर टिकी होने से आखिर सरकार ने यह नया आदेश वापस ले लिया. किसानों से ब्याज की वसूली नहीं करते हुए पुराने तरीके से सरकार ब्याज की राशि बैकों को प्रदान करेगी. नाबार्ड का यह आदेश शुक्रवार को बैंकों को प्राप्त होने से राज्य भर के लाखों किसान तथा बैंकों को भी राहत मिली है.